एकादशी व्रत क्या है, नियम, फल, दान, उद्यापन PDF Download in Hindi

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तो दोस्तों कैसे हैं आप लोग, स्वागत है आपका आज के हमारे एक और नए आर्टिकल में। तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम एक ऐसे व्रत के बारे में बात करने वाले हैं, जिसका व्रत करना हमारे लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण और आवश्यक है, दोस्तों हम बात कर रहे हैं एकादशी व्रत की जोकि महीने में दो बार और साल भर में कुल मिलाकर 24 बार मनाया जाता है, और इन सभी एकादशी पर व्रत किया जाता है। वैसे तो हर एक एकादशी और हर एक एकादशी व्रत का अलग-अलग महत्व होता है, और उसी प्रकार ही हमें उस एकादशी में व्रत और पूजा पाठ करना होता है। जिस प्रकार से मोहिनी एकादशी में हम राम जी के स्वरूप की पूजा करते हैं, उसी प्रकार अलग-अलग प्रकार की एकादशी में हम अलग-अलग देवी देवताओं की पूजा करते हैं। तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको एकादशी व्रत से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी देने वाले हैं, जैसे की एकादशी व्रत क्या है?, इसे कब किया जाता है?, इसके नियम क्या है?, इसे करने से क्या फल मिलता है?, और इस व्रत का उद्यापन किस प्रकार से किया जाता है? अगर आपको भी यह जानना है तो आपको इस आर्टिकल को आखिरी तक पढ़ना होगा, तो चलिए आगे बढ़ते हैं और बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।

एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) क्या है?

तो दोस्तों अगर बात करें एकादशी व्रत क्या है, तो हम आपको बता दें की एकादशी व्रत हिंदू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है, जो की महीने में दो बार और साल भर में कुल मिलाकर 24 बार आता है। अगर इन व्रत के दिनों की बात करें, तो यह महीने में दो बार एक कृष्ण पक्ष की ग्यारस को, और दूसरा शुक्ल पक्ष की ग्यारस को मनाया जाता है। कृष्ण पक्ष की एकादशी पूर्णिमा और शुक्ल पक्ष की एकादशी अमावस्या के उपरांत आती है, यानी कि हमें महीने में दो बार इस व्रत को करना होता है। इतना ही नहीं कहा जाता है कि इस व्रत को करने से हमें अपने सभी प्रकार के दुख दर्द से मुक्ति मिलती है। एकादशी व्रत के दौरान दान पुण्य करना भी बहुत ही ज्यादा शुभ माना गया है, तो चलिए आगे बढ़ते हैं और आपको एकादशी व्रत के बारे में और अधिक जानकारी देते हैं।

एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) के दौरान क्या खाना चाहिए?

तो दोस्तों कई लोगों का यह सवाल रहता है की एकादशी व्रत के दौरान ऐसी कौन-कौन सी चीज हैं जो कि वह ग्रहण कर सकते हैं, और ऐसी कौन सी चीज है जो कि उन्हें नहीं खानी चाहिए, तो दोस्तों वैसे तो एकादशी व्रत के दौरान आपको निराहार भोजन करना होता है, यानी कि आपको दिन भर में भोजन ग्रहण नहीं करना होता, लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर सकते, और भोजन आपके लिए जरूरी है, तो आप दिन भर में सिर्फ एक बार भोजन ग्रहण करके अपने इस व्रत को पूरा कर सकते हैं, और अगर आप भोजन नहीं करना चाहते, तो आप फलाहार करके भी एकादशी व्रत को पूरा कर सकते हैं। फल में आप सेब, अंगूर, संतरा, शकरकंद आलू साबूदाना आदि को ग्रहण कर सकते हैं, और रही बात ऐसी चीजों की जो आपको नहीं खानी चाहिए, तो व्रत के दौरान आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, यानी कि आपको लहसुन प्याज जैसी चीजों को नहीं खाना चाहिए, और इसी के साथ-साथ आपको मास मदिरा का भी सेवन नहीं करना है, तो इन चीजों का ध्यान करके आप आसानी से अपनी एकादशी के व्रत को पूरा कर सकते हैं।

एकादशी व्रत के नाम

तो दोस्तों जैसा कि हमने ऊपर ही आपको बता दिया था, कि महीने में दो एकादशी और साल भर में कुल 24 एकादशी मनाई जाती है, जिसमें की व्रत रखा जाता है, और सभी एकादशी का नाम अलग-अलग होता है। इतना ही नहीं हम आपको यह भी बता दे की 3 साल में एक बार अधिमास लगने के कारण यह एकादशी की संख्या 24 से बढ़कर 26 भी हो जाती है, तो नीचे हमने आपको 26 के 26 एकादशी और उनके नाम और उनकी तिथि के अनुसार बताएं हैं, जिससे कि आपको सभी एकादशियों के बारे में जानकारी मिल जाएगी।

1: चैत्र माह: चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम पापमोचीनी एकादशी और शुक्ल पक्ष एकादशी का नाम कामदा एकादशी है।

2:बैसाख माह: वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम वरुथिनी और शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम मोहिनी एकादशी है।

3:ज्येष्ठ माह: ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम अपरा एकादशी, और शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम निर्जला एकादशी है।

4: आषाढ़ माह: आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम योगिनी एकादशी और शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम देवशयनी एकादशी है।

5:श्रवण माह: श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम कामिका एकादशी, और शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पवित्रा एकादशी है।

6:भाद्रपद माह: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी अजा एकादशी, और शुक्ल पक्ष की एकादशी पद्य एकादशी है।

7:आश्विन माह: अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी इंदिरा एकादशी और वही शुक्ल पक्ष की एकादशी पापांकुशा एकादशी है।

8:कार्तिक माह: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी रमा एकादशी, और शुक्ल पक्ष की एकादशी देव प्रबोधिनी एकादशी है जो की बहुत महत्वपूर्ण है।

9:मार्गशीर्ष माह: कृष्ण पक्ष की एकादशी उत्पत्ति और शुक्ल पक्ष की एकादशी मोक्षदा है।

10:पौष माह: पौष माह की दो एकादशी सफल और पुत्रदा एकादशी है.

11: मांघ माह: माघ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम षट्तिला एकादशी, और दूसरे एकादशी का नाम जया एकादशी है।

12: फाल्गुन माह: फाल्गुन माह की पहली एकादशी विजया एकादशी और दूसरी एकादशी आमलकी एकादशी है।

13:अधिमास: कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम परमा और शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पद्मिनी एकादशी है।

एकादशी व्रत के नियम

तो दोस्तों एकादशी व्रत के कुछ ऐसे नियम होते हैं जिसका पालन आपको सभी व्रत को करने से पहले करना चाहिए, ताकि आपसे उस व्रत के दौरान कोई गलती ना हो जाए, और आपको उस व्रत का पूरा फल प्राप्त हो, तो चलिए एक-एक करके उन सभी व्रत नियमों के बारे में जानते हैं।

1: एकादशी व्रत के एक दिन पहले यानी की दसवीं तिथि से ही आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू कर देना है, आपको लहसुन प्याज मांस मदिरा और इसी के साथ-साथ मसूर के दाल जैसी खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना है। इस दिन आपको चावल का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

2:एकदाशी के दिन आपको भूल कर भी अपने बाल या फिर दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए, आप एक दिन पहले या फिर अगले दिन ऐसा कर सकते हैं।

3: एकादशी का व्रत रखने के दौरान आपको इस बात का ध्यान रखना है, की एकादशी वाले दिन से आपको अगले दिन की सूर्योदय तक व्रत रखना होता है।

4: अगला नियम है कमला एकादशी का, कमला एकादशी के व्रत के दौरान आपको कभी भी अपने बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए, इस दिन जमीन पर सोना बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है।

5: एकादशी के दौरान आपको अपने भोजन में नमक का भी इस्तेमाल नहीं करना है, आप चाहे तो सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

6: एकादशी व्रत के दौरान आपको वृक्ष से पत्ते भी नहीं तोड़ने चाहिए, आप गिरे हुए पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं, इसी के साथ आपको एकादशी वाले दिन किसी भी जीव जंतुओं को नुकसान नहीं पहुंचाना होता है।

7: एकादशी के एक दिन पहले और एकादशी व्रत के दौरान आपको भोग विलास से पूरी तरह से दूरी बनाकर रखना है, आपको इस दिन पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना है।

एकादशी का व्रत रहने से क्या फल मिलता है?

हमारे हिंदू धर्म में कई सारे व्रत है, उनमें से एकादशी व्रत को बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, अगर बात करें एकादशी का व्रत रहने से हमें क्या फल मिलता है, तो एकादशी का व्रत करने से हमें हमारे सभी दुखो से मुक्ति मिलती है, और हमें मोह माया यानी कि इस जीवन में जीवन मृत्यु की माया से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं, कहा जाता है की एकादशी का व्रत करने से हमें भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और इसी के साथ-साथ हमें धन संपत्ति की भी प्राप्ति होती है। कहा जाता है अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु एकादशी वाले दिन होती है, तो उसके लिए स्वर्ग के द्वार हमेशा के लिए खुले रहते हैं, और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए एकादशी के व्रत को और एकादशी के दिन को बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है।

एकादशी व्रत कब से प्रारंभ करना चाहिए?

कई लोगो के मन में यह सवाल रहता है कि अगर उन्हें सारे 24 के 24 एकादशी का व्रत करना है, तो इसके लिए उन्हें कब संकल्प लेना होगा, यानी कि की किस एकादशी से उन्हें इस व्रत की शुरुआत करनी होगी। तो दोस्तों हम आपको बता दें कि अगर आप एकादशी का व्रत आरंभ करना चाहते हैं, तो आप ऐसा नहीं कर सकते कि आप किसी भी एकादशी से व्रत को करना प्रारंभ कर दें, इसके लिए शास्त्रों में एक विशेष एकादशी का वर्णन किया गया है, जो की उत्पन्ना एकादशी है, जो की मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है, इसलिए इस एकादशी से एकादशी के व्रत को प्रारंभ करना बहुत ही ज्यादा फलदाई माना जाता है, कहा जाता है कि इस व्रत को करने से हमें विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, इतना ही नहीं इस व्रत को करने से मिलने वाले फल को अश्वमेध यज्ञ करने से मिलने वाले फल जितना ही महत्वपूर्ण बताया गया है, इसलिए अगर आप भी एकादशी का व्रत प्रारंभ करने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप भी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन से अपने व्रत का संकल्प लेकर व्रत शुरू कर सकते हैं।

एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए?

एकादशी के दिन दान करना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है, और कहा जाता है की दान करने से हमे विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है। अब बात आती है कि आखिर एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए, तो एकादशी के दिन अन्न का दान करना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन आपको अन्न में गेहूं,मक्का,चावल आदि का दान करना चाहिए। इतना ही नहीं इस दिन पीले वस्त्र को भी किसी जरूरत मंद को दान करना बहुत ही ज्यादा शूभ माना जाता है। एकादशी का व्रत पूरा होने के बाद आप सभी को ब्राम्हणों को भोजन करवाना चाहिए, और भोजन के पश्चात उन्हें दक्षिणा भी देना चाहिए, और उन्हें विदा करना चाहिए। इस प्रकार से आपको एकादशी में दान पुण्य करते हुए ही अपने एकादशी का व्रत पूरा करना चाहिए।

एकादशी व्रत कितने करना चाहिए?

कई लोगों का यह सवाल होता है की एकादशी व्रत कितने करने चाहिए, वैसे तो साल भर में कुल मिलाकर 24 एकादशी और अगर अधिमास को भी जोड़ दिया जाए, तो कुल मिलाकर 26 एकादशी मनाई जाती है, जिसमें की महीने में दो एकादशी आती है। अगर आप चाहे तो इन 26 एकादशी का व्रत करके व्रत को पूरा कर सकते हैं, इससे आपको विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होगी, और आपकी हर मनोकामना भी पूर्ण होगी, और आपको विभिन्न प्रकार के फल इन व्रतो को करने से प्राप्त होंगे, लेकिन अगर आप सभी एकादशी के व्रत को नहीं करना चाहते, तो आपको सिर्फ एक यानी की निर्जला एकादशी का व्रत विशेष तौर पर करना चाहिए, जो की ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है, ऐसा इसलिए क्योंकि निर्जला एकादशी को सभी एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण एकादशी माना जाता है, कहा जाता है कि इस दिन एकादशी का व्रत करने से हमें विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और हमारी हर मनोकामना पूर्ण होती है। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से हमें 24 एकादशी करने जितना फल ही प्राप्त हो जाता है, तो अगर आपके पास समय है, तो आप 26 के 26 एकादशी और अगर आपके पास समय नहीं है तो आप केवल निर्जला एकादशी का व्रत करती थी, अपने व्रत का संकल्प को पूरा कर सकते हैं।

एकादशी व्रत में दूध पीना चाहिए या नहीं?

कई लोगों का यह सवाल होता है एक एकादशी के दिन अगर उन्हें व्रत करना होता है, तो उन्हें दूध का सेवन करना चाहिए या नहीं। तो उन लोगों को हम बता दें, कि कई जगह हमें यह देखने और पढ़ने को मिलता है, की एकादशी के दौरान हमें दूध का सेवन नहीं करना चाहिए, लेकिन अगर उसे हमारे स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए, तो दूध का सेवन करना हमारी सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा सेहतमंद और जरूरी माना जाता है, क्योंकि व्रत के दौरान बिना कुछ खाए पिए रहने से आपका पूरा शरीर कमजोर हो जाता है, और ऐसे में अगर आप दूध का सेवन करते हैं तो यह आपको ऊर्जा प्रदान करता है, तो इसलिए अगर आप एकादशी का व्रत कर रहे हैं, तो इस दौरान आप दूध और दूध से बनी कोई चीज जैसे कि पनीर मेवे आदि का सेवन कर सकते हैं, यह आपको दिन भर आपके व्रत को अच्छे से करने के लिए ऊर्जा प्रदान करेगा जिससे कि आप अच्छे से अपना व्रत पूरा कर पाएंगे।

निर्जला एकादशी व्रत किसको करना चाहिए?

जैसा कि हमने आपको बताया कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी कि निर्जला एकादशी को बहुत ही ज्यादा पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है, कहा जाता है की इस एकादशी को व्रत करने से आपको 24 एकादशी का व्रत करने जीतने में फल की प्राप्ति होती है, तो दोस्तों अगर बात करें निर्जला एकादशी का व्रत आखिर किसको करना चाहिए, तो दोस्तों निर्जला एकादशी का व्रत करना सभी के बाद की बात नहीं है, क्योंकि इस व्रत के दौरान आपको निर्जला यानी कि बिना जल ग्रहण करे ही अपना व्रत पूरा करना होता है, क्योंकि बाकी के एकादशी में आप जल ग्रहण करके और फलाहार करके अपना व्रत पूरा कर सकते हैं, लेकिन इसमें आपको जल का एक भी बूंद ग्रहण नहीं करना होता है, इसलिए इस व्रत को कठिन व्रत माना जाता है। इसलिए अगर आपकी सेहत अच्छी है, या बिना पानी पिए दिन भर रह सकते हैं, तो ही इस व्रत को करिए। इतना ही नहीं, अगर आपके पास साल भर में 24 या फिर 26 एकादशी को करने का समय नहीं है, तो भी आप निर्जला एकादशी के दिन व्रत करके ही सभी एकादशी का व्रत करने जितना फल प्राप्त कर सकते हैं।

एकादशी व्रत का उद्यापन कैसे करें?

कहां जाता है कि किसी भी व्रत को शुरू करने के बाद उसकी विधि विधान से उद्यापन करना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि उद्यापन करने से हमारे पूजन में जितने भी प्रकार के देवी देवता आदि मौजूद होते हैं, उद्यापन करने से उन सभी को उनका भाग प्राप्त हो जाता है, और हमें उन सभी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है, और तभी जाकर हमें उस व्रत का भी फल मिलता है, इसलिए जरूरी है की एकादशी व्रत करने के दौरान आप विधि विधान से एकादशी व्रत का उद्यापन भी करें, उद्यापन विधि के बारे में नीचे हमने आपको बताया है।

एकादशी व्रत का उद्यापन आप 12 एकादशी या फिर साल भर के सभी एकादशी का व्रत पूरा करने के बाद कर सकते हैं, इसके लिए आपको शुरू में ही संकल्प लेना पड़ता है, कि आप साल भर में कुल कितनी एकादशी का व्रत करना चाहते हैं। उसके बाद इस एकादशी के बाद आपको उद्यापन करना है, उस दिन भी आपको बाकी एकादशी के दिन के प्रकार ही व्रत करना होता है, बस एक दिन आपको सुबह जल्दी उठकर विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा करनी होती है, और अपने संकल्प को पूरा करना होता है।

इसके बाद आपको अपने घर ब्राह्मणों को भोजन के लिए बुलाना होता है, आप चाहे तो कुल एकादशी की संख्या के बराबर यानी की 24 या फिर कुल महीना के बराबर 12 ब्राम्हणों को भोजन करवा सकते हैं, इसी के साथ-साथ आप जरूरतमंदों को दान ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर अपने उद्यापन की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। इसके बाद आप एकादशी के अगले दिन भोजन ग्रहण करके अपना व्रत का उद्यापन कर सकते हैं, अगले दिन भी आप जरूरतमंदों को भोजन या फिर कोई चीज दान करना चाहे तो आपके लिए और भी अच्छा होगा। अपने आखरी एकादशी व्रत के दौरान आप चाहे तो सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा का भी पाठ कर सकते है।


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