सावन सोमवार व्रत कथा, व्रत विधि, नियम, कब से शुरू – संपूर्ण जानकारी

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दोस्तों कैसे हैं आप लोग, स्वागत है आपका आज के हमारे एक और नए आर्टिकल में। दोस्तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको सावन सोमवार के व्रत और सावन सोमवार के व्रत कथा के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं। आपको सोलह सोमवार व्रत के बारे में तो पता ही होगा, जो कि शिव जी को समर्पित होता है, जिसमें की शिव जी की पूजा की जाती है, और आप इसे किसी भी महीने के सोमवार से शुरू करके लगातार सोलह सोमवार का व्रत रखकर पूरा कर सकते हैं। लेकिन अगर बात करे सावन सोमवार के व्रत की, तो इसका महत्व पूरी तरह से बदल जाता है।

तो अगर आपको भी जानना है कि सावन सोमवार व्रत क्या है, और इसकी व्रत कथा क्या है। तो इसके लिए आपको आज के हमारे इस आर्टिकल को आखिरी तक पढ़ना होगा, हम आपको व्रत और व्रत कथा के बारे में तो बताएंगे ही साथ ही हम आपको सावन सोमवार से जुड़ी और भी कई प्रकार की जानकारी देंगे। इसलिए इस आर्टिकल में आखिरी तक बने रहें तो चलिए आगे बढ़ते हैं और शुरू करते हैं।

सावन सोमवार व्रत क्या है (Sawan Somvar Vrat)?

दोस्तों जैसा कि हमने पिछले आर्टिकल में आपको सोलह सोमवार व्रत के बारे में जानकारी दी थी, जिसमें कि आपको लगातार 16 सोमवार के दिन भगवान शिव जी की पूजा करनी होती थी, और उस दिन आपको व्रत रखकर व्रत कथा का पाठ करना होता था। लेकिन अगर बात करें सावन सोमवार व्रत क्या है, तो हम आपको बता दें कि यह 16 सोमवार व्रत के जैसा ही है, लेकिन इसका महत्व पूरी तरह से अलग है। क्योंकि आपको यह तो पता होगा कि सावन का महीना शिव जी को समर्पित होता है, क्योंकि सावन का पूरा महीना शिव जी को बहुत ही ज्यादा प्रिया होता है। इसलिए अगर बात करें सावन के सोमवार के व्रत की, तो इसका महत्व बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है।

बस दोनों में फर्क इतना है कि सोलह सोमवार व्रत में आपको लगातार 16 सोमवार तक व्रत रखना होता है, लेकिन सावन सोमवार वाले व्रतों में आपको सिर्फ सावन के सोमवार में ही व्रत रखना होता है। क्योंकि सोमवार का दिन शिव जी को समर्पित होता है। अगर बात करें 2023 की, तो इस साल शिव जी का प्रिय महीना 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त को खत्म होगा। तो ऐसे में आप सावन के पहले सोमवार से इस व्रत का संकल्प लेकर व्रत कथा का पाठ करते हुए आसानी से इस व्रत को कर सकते हैं। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं उस कथा के बारे में जिसका पाठ सावन सोमवार के दिन आवश्यक होता है।

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सावन सोमवार व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha)

दोस्तों जैसा कि हमने सोलह सोमवार व्रत कथा के बारे में आपको बताया था, उसी तरह सावन सोमवार की भी व्रत कथा होती है, और उसका भी महत्व बहुत ज्यादा होता है। तो हम आपको बता दे कि अगर आप भी सावन सोमवार का व्रत कर रहे हैं, और उससे शिव जी की पूजा कर रहे हैं, तो आपको आवश्यक रूप से सावन सोमवार के व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। इससे आपको शिव जी और पार्वती जी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। तो चलिए आपको सावन सोमवार के व्रत कथा को बताते हैं।

यह बात है तब की जब एक राज्य में एक बहुत ही बड़ा साहूकार हुआ करता था, उसके पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी। ना ही उसके पास धन की कमी थी, और ना ही उसके पास यश की कमी थी। इतना ही नहीं, वह शिव जी का बहुत बड़ा भक्त भी था। शायद ही उससे बड़ा भक्त उस नगर में और कोई होगा। उसका व्यापार दूर दूर तक फैला हुआ था, पैसों के मामले में उसे किसी भी चीज की तकलीफ नहीं थी, उसे बस कमी थी तो सिर्फ एक चीज की, वह है संतान की। उसे सिर्फ इसी बात का हमेशा दुख रहता था, कि वह नि:संतान है, उसका कोई पुत्र नहीं है, क्योंकि वह शिव जी का भक्त था, तो वह इसी कामना में कि उसे पुत्र की प्राप्ति हो जाए, रोज शिवजी के मंदिर जाकर दीपक जलाया करता था।

इतना ही नहीं हुआ सावन के महीने में सावन सोमवार का व्रत और सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ भी किया करता था। शिवजी और पार्वती जी दोनों ही ऊपर से साहूकार को देख रहे थे, साहूकार कि हालत पार्वती जी से देखी नहीं गई, और उन्होंने शिवजी से कहा कि हे प्रभु यह साहूकार आपका इतना बड़ा भक्त है, और आपके होते हुए इसे इतनी ज्यादा परेशानी हो रही है, यह इतना ज्यादा दुखी है आपको इसकी सहायता करनी चाहिए। 

तभी शिव जी पार्वती जी से मुस्कुरा कर कहते हैं, कि आप सही कह रही हो, लेकिन साहूकार इसलिए दुखी है क्योंकि वह निसंतान है। तो इस बात पर पार्वती जी शिव जी से कहती है, तो अगर वह नि: संतान है तो आप उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान क्यों नहीं दे देते, आखिर वह आपके इतने बड़े भक्त हैं।

पार्वती जी के इस बात को सुनकर शिव जी पार्वती जी को कहते हैं, कि मैं साहूकार को पुत्र प्राप्ति की वरदान तो दे दूं, लेकिन उनके जीवन में पुत्र प्राप्ति का योग नहीं है। अगर मैं यह वरदान दे देता हूं, तो उनका पुत्र सिर्फ 16 वर्ष की आयु तक ही जीवित रह पाएगा। उसके बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी।

शिवजी के ऐसा कहने के बाद भी पार्वती जी नहीं मानती है, और शिव जी से आग्रह करती है कि कृपा करके आप साहूकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दे। पार्वती जी के ना मानने और बार-बार शिव जी से आग्रह करने के बाद शिव जी को आखिरकार पार्वती जी की बात मानी पड़ी, और उन्होंने साहूकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया, लेकिन उन्होंने यह भी बता दिया कि वह पुत्र सिर्फ 16 वर्ष की आयु तक ही जीवित रहेगा, उसके बाद अचानक ही उसकी मृत्यु हो जाएगी।

क्योंकि साहूकार को यह बात पहले से पता है कि उसका पुत्र 16 वर्ष से ज्यादा जीवित नहीं रह पाएगा, इसलिए वह इस वरदान से ना ही तो खुश हुआ, और ना ही दुखी हुआ। वह ऐसे ही शिव जी की पूजा करके घर चला गया। शिवजी के वरदान से ऐसा ही हुआ, उसकी पत्नी गर्भवती हुई, और 9 महीने बाद जाकर उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई। गांव मोहल्ले में खुशी का माहौल बन गया, साहूकार के बेटे के जन्मदिन को त्यौहार की तरह गांव में मनाया गया, लेकिन साहूकार ने किसी से भी इस बारे में बात नहीं की कि उसका पुत्र सिर्फ और सिर्फ 16 वर्ष की आयु तक जीवित रहेगा।

जब साहूकार का पुत्र 11 वर्ष का हो गया तब उनकी माता को उस बालक की शादी की फिक्र हुई, तो उसने इस बात के लिए साहूकार से बात की, तो साहूकार ने कहा कि वह अभी अपने पुत्र को काशी पढ़ाई करने हेतु भेजेंगे। उसके बाद साहूकार ने अपने पुत्र के मामा जी को बुलाया और उन्हें बहुत सारा धन सौंप दिया, और उसे कहा कि तू मेरे पुत्र को काशी ले जाओ पढ़ाने हेतु, लेकिन इस बात को ध्यान रखना, कि तुम काशी पहुंचते बीच में जिस स्थान पर भी रुकोगे, उस जगह तुम्हें यज्ञ करना होगा, जिस स्थान पर तुम यज्ञ करोगे, वहां ब्राह्मण को भोजन करवाना होगा। ऐसा कह कर साहूकार अपने पुत्र और उसके मामा को एक साथ काशी के लिए विदा कर देता है।

ऐसे ही मामा और भांजा दोनों काशी के लिए जा रहे थे, वह दोनों जहां पर भी रुकते दोनों यज्ञ करते और उसके बाद ब्राह्मणों को भोज करवाते और दान दक्षिणा करते, और ऐसे ही आगे के सफर के लिए निकल जाते। एक दिन ऐसा हुआ कि वह जिस नगरी में पहुंचे, वहां एक राजा अपनी राजकुमारी का विवाह करवा रहा था, लेकिन जिससे राजकुमारी का विवाह हो रहा था वह एक आंख से अंधा और एक कान से काना था। और सबसे बड़ी बात तो यह थी की इस बात के बारे में राजा और राजकुमारी दोनों को ही नहीं पता था। यानी कि वह धोखा देकर एक राजा की बेटी से शादी कर रहा था।

लेकिन दिक्कत यह थी कि जब दूल्हा मंडप में बैठता तो राजकुमारी को यह सारी सच्चाई पता चल जाएगी, लेकिन तभी साहूकार का बेटा वहां पहुंचता है, तो लड़के के बाप यह तरकीब सोचता है कि क्यों ना मैं इस लड़के को बहला-फुसलाकर मेरे बेटे के जगह बैठा दी और जब घर जाने की बात आएगी, तो अपने बेटे को घर भेज दूंगा। तो वह ऐसा ही करता है वह धन के लालच में लड़के के मामा को माना लेता है, और उधर साहूकार का बेटा मंडप में बैठ जाता है। लेकिन साहूकार का बेटा बहुत ज्यादा ईमानदार था, जब शादी का कार्य संपन्न हुआ, तब उसने उस लड़की के दुपट्टे पर लिख दिया कि तुम्हारी शादी मेरे साथ हुई है, और जो तुम्हारे साथ दूल्हा बनके घर जा रहा है वह तो एक अंधा और काना व्यक्ति है। दुपट्टे में ऐसा लिखने के बाद साहूकार का बेटा अपने मामा के साथ आगे की सफर करके काशी की तरफ बढ़ने लगा।

राजकुमारी ने अपने दुपट्टे पर साहूकार के द्वारा लिखे गए इन शब्दों को देख लिया, जिसके बाद वह समझ गई थी मेरे साथ धोखा हुआ है जिसके बाद उसने उस अंधे और काने व्यक्ति के साथ जाने से मना कर दिया, जब यह बात राजा को पता चली तो उसने भी बरात को आगे नहीं भेजी, बारात वापस लौट आई, और उधर मामा और भांजा दोनों भी काशी पहुंच गए।

एक दिन की बात है जब काशी पहुंचकर साहूकार का बेटा 16 वर्ष का था तब वे काशी में ही एक यज्ञ करवा रहे थे, बहुत सारे ब्राह्मण यज्ञ के लिए और भोजन करने के लिए आए हुए थे। लेकिन जब बहुत देर हो गई थी साहूकार का बेटा मंडप से बाहर नहीं आया, तब उसके मामा को उसकी चिंता हुई, जब वह मंडप के अंदर जाकर देखता है, तो उसे दिखाई देता है कि उसका भांजा यानी कि साहूकार का बेटा जमीन पर मूर्छित पड़ा हुआ है, और उसके शरीर से प्राण निकल चुके हैं। यह देखकर वह बहुत ही ज्यादा दुखी हुआ, और परेशान भी हुआ। लेकिन उस समय उसने सोचा कि अभी रोना गाना करने से पूरी तरह से हंगामा हो जाएगा, बाहर ब्राह्मण आए हुए हैं, इसलिए उसने सबसे पहले यज्ञ संपन्न किया, ब्राह्मणों को भोज करवाया और उसके बाद साहूकार के बेटे की पास जोकी जमीन पर मूर्छित पड़ा हुआ था उसके पास आकर खूब रोया।

जब साहूकार का बेटा जमीन पर पड़ा था, और उसके मामा उसके पास ही बैठ कर रो रहे थे, उसी वक्त बगल में से ही शिव जी और पार्वती जी भ्रमण करते हुए निकल रहे थे। तब वह लड़के के मामा को वहा पर रोते हुए देखते हैं, तो पार्वती जी शिव जी से पूछती है कि हे प्रभु यह कौन व्यक्ति है, जो यह मूर्छित पड़ा है जिसकी याद में यह दूसरा व्यक्ति बहुत ही ज्यादा रो रहा है। तब शिवजी पार्वती जी को यह बताते है कि यह वही पुत्र है जिसे मैंने साहूकार को वरदान दिया था, और मैंने कहा था कि इस पुत्र की आयु 16 वर्ष तक ही रहेगी, उसके बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी। आज इसके 16 वर्ष पूरे हो गए हैं, और इसकी मृत्यु हो चुकी है। 

यह सुनकर और जानकर पार्वती माता शिव जी को कहती है कि हे मेरे प्राणनाथ देखिए यह पुत्र कैसे जमीन पर प्राणरहित पड़ा हुआ है, मुझसे इसकी और इनकी माता-पिता की हालत देखी नहीं जा रही है, अगर आप कुछ नहीं करेंगे तो रोते-रोते इनके माता-पिता के भी प्राण निकल जाएंगे। जिसके बाद शिव जी है कहते हैं कि मैंने उसे 16 वर्ष के जीवनकाल का वरदान दिया था, उसकी आयु पूरी हो चुकी है अब मैं कुछ नहीं कर सकता। उसके बाद पार्वती जी बहुत ही ज्यादा आग्रह करती है, कि कृपया करके उसे जीवित कर दीजिए। जिसके बाद शिव जी पार्वती जी की बात मान जाते हैं, और उस पुत्र को फिर से जीवित कर देते हैं। जिसके बाद वह अचानक से ही शिव जी का नाम लेकर उठ जाता है, यह देख कर उसके मामा पूरी तरह से हैरान और खुश हो जाते हैं।

ऐसे ही खुशी खुशी के साहूकार के बेटे ने काशी में अपनी शिक्षा पूरी की, शिक्षा पूरी करने के बाद जब वह वापस अपने नगर आने के लिए लौट रहे थे, तो वह फिर से उस नगर में जहां की राजकुमारी के साथ साहूकार के बेटे का विवाह हुआ था, वहां उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। जब राजा को यज्ञ का पता चला, तो उन्होंने तुरंत ही साहूकार के बेटे को पहचान लिया, कि यही वह व्यक्ति है जिसके साथ मेरी बेटी का विवाह हुआ था। जिसके राजा ने उस लड़के सुर उसके मामा को अपने महल में आमंत्रित किया, उनका स्वागत किया, और उन्हें ढेर सारा धन और वस्त्र देकर अपनी प्यारी राजकुमारी के साथ साहूकार के बेटे का विवाह करवा कर खुशी-खुशी उनके घर के लिए विदा किया।

इधर लड़के के माता पिता यानी कि साहूकार और उनकी पत्नी ने अपने आप को कमरे में बंद रखा था, उन्होंने कुछ खाया पिया नहीं था। इन लोगों ने शपथ ली थी कि हम बिना खाए पिए ही अपने पुत्र का इंतजार करेंगे और अगर उन्हें कहीं से अपने बेटे की मृत्यु का खबर मिल गया तो वह दोनों भी अपने प्राण त्याग देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जैसे ही मामा और भांजा नगर में पहुंचे, लड़के के मामा ने दूत के हाथों यह खबर साहूकार और उनकी पत्नी तक पहुंचाया कि हम नगर आ चुके हैं, और उनका पुत्र भी जीवित है। उसके बाद साहूकार और उसकी पत्नी महल के दरवाजे तक आए, जहां उन्होंने अपने पुत्र को जीवित देखा। जिसके बाद वे दोनों बहुत ही ज्यादा खुश हुए। उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, उन्होंने खुश होकर शिव जी को धन्यवाद दिया, और खुशी-खुशी मामा और भांजे दोनों का स्वागत किया।

उसी रात में जिस दिन साहूकार का बेटा घर वापस लौटा था, उस रात को साहूकार के सपने में स्वयं शिव जी ने दर्शन दिया था उन्होंने साहूकार से कहा कि मैं तेरी भक्ति से बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हु क्योंकि तू हर सावन के सोमवार के दिन मेरा व्रत करता था। इसलिए मैंने तेरे पुत्र को लंबी आयु का वरदान दिया है। यह सुनकर साहूकार बहुत ही ज्यादा खुश हो जाता है, और वह समझ आता है कि जो भी व्यक्ति सावन सोमवार के दिन व्रत रखता है, और शिव जी और पार्वती जी की पूजा करता है, उसे बहुत ही ज्यादा सौभाग्य की प्राप्ति होती है, और उसकी हर मनोकामना भी शिव जी और पार्वती जी पूरी करते हैं।

तो दोस्तों यह थी वह कथा जो कि आपको सावन सोमवार के व्रत करने के दौरान सुननी या पढ़नी चाहिए, इसे सुनने या फिर इसका पाठ करने से आपको बहुत ही ज्यादा सौभाग्य की प्राप्ति होती है जैसे कि साहूकार को हुई। इतना ही नहीं इस कथा का पाठ करने से आपकी हर मनोकामना भी पूर्ण होती है इसलिए सावन सोमवार के व्रत के दिन शिव जी की पूजा करने के दौरान इस कथा का पाठ अच्छे से निस्वार्थ भाव से जरूर करें।

सावन सोमवार व्रत विधि (Sawan Somvar Vrat Vidhi)

दोस्तों अगर आप भी सावन सोमवार व्रत करना चाहते हैं और शिव जी को और पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए सावन सोमवार व्रत कथा का भी पाठ करना चाहते हैं, तो इसके लिए सावन सोमवार व्रत कथा की विधि होती है उस विधि अनुसार ही अगर आप सावन सोमवार के दिन शिव जी और पार्वती जी की पूजा करते हैं, तो ही आपको इसका पूरा फल प्राप्त होता है। तो चलिए आपको सावन सोमवार व्रत कथा विधि के बारे में पूरी जानकारी दे देते हैं, ताकि आपको व्रत करने में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो।

1: जिस दिन आपको यह व्रत करना है, यानी कि सावन के सोमवार के दिन आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में यानी कि सूर्योदय से पहले उठ जाए और स्नान आदि कार्य करने के बाद स्वस्थ वस्त्र धारण करके तैयार हो जाएं।

2: तैयार होने के बाद आप अपने पूजा स्थान में गंगाजल का छिड़काव करें, आप चाहे तो अपने  पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव कर सकते हैं इससे आपको और भी अच्छा महसूस होगा।

3: अगर आप चाहे तो अपने पास ही शिव मंदिर में जाकर शिव जी की पूजा कर सकते हैं, लेकिन अगर आप मंदिर नहीं जा सकते, तो आप घर में ही शिव जी की प्रतिमा, मूर्ति, या फिर शिवलिंग की मदद से शिवजी की आराधना कर सकते हैं।

4: अगर आपके घर में शिवलिंग मौजूद है, तो आप शिवलिंग का सबसे पहले जलाभिषेक करके पूजा को शुरू करें, गंगाजल के अलावा और शिव जी का अभिषेक दूध ,दहीजेड शहद,  आदि किसी भी चीज से कर सकते हैं। अभिषेक करने के बाद आपको अपने व्रत का संकल्प लेना चाहिए। लेकिन अगर आपके घर में शिवलिंग नहीं है, तो आप ऐसे ही शिव जी की प्रतिमा या तस्वीर से शिव जी की पूजा कर सकते हैं।

5: उसके बाद आपको शिव जी को धतूरा बेलपत्र, दूबी, कनेर के फूल, कमल के फूल, और नील कमल के फूल, और इसी के साथ बेल का फल, भांग, चावल, आदि अर्पित करना है, इससे भगवान शिव बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होते हैं।

6: इतना करने के बाद आपको शिव जी और पार्वती जी दोनों की पूजा करना है। इस बात का आप विशेष ध्यान रखें कि इस दिन आपको पार्वती जी की पूजा करनी है, वरना आपको इस व्रत का पूरा फल नहीं मिलेगा, और इस बात का भी ध्यान रखें कि जब आप शिव जी और पार्वती जी की पूजा कर रहे हैं तब आप ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण अपने मन में करते रहे।

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सावन सोमवार व्रत कब से शुरू करें (Sawan Somvar Vrat Kab Se Start Kare) ?

दोस्तों अगर बात है सावन सोमवार के व्रत कब से शुरू करना चाहिए, तो हम आपको बता दें कि सावन के पहले सोमवार के दिन से ही सावन सोमवार के व्रत को शुरू करना बहुत ही शुभ माना जाता है, इससे व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है। तो अगर बात करें इस वर्ष यानी की 2023 की, तो इस वर्ष सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो रहा है, तो आप इस साल के सावन के पहले सोमवार यानी कि 10 जुलाई से इस सावन सोमवार के व्रत को करने का संकल्प शुरू कर सकते हैं। आप पूरे सावन भर यानी कि 31 अगस्त तक सावन सोमवार के व्रत कर सकते हैं।

सावन सोमवार व्रत में क्या खाना चाहिए (Sawan Somvar Vrat Mai Kya Khana Chiye)?

दोस्तों अगर बात करें कि आप सावन सोमवार व्रत रखते हैं तो आप क्या क्या चीजे खा सकते हैं, तो हम आपको बता दें कि जिस दिन आप व्रत करते हैं यानी कि सोमवार के दिन, उस दिन आपको शाम को ही शिव जी की आरती करने के बाद अपना व्रत खोलना चाहिए, इससे पहले आप अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं कर सकते। शाम को आरती के बाद व्रत खोलने के बाद आप ऐसा भोजन कर सकते हैं जिसमें कि नमक ना हो, और ध्यान रहे कि उस दिन खट्टी चीजें भी ना खाएं, और इसी के साथ आप फलाहार भी कर सकते हैं, जैसे कि आप अपने खाने में सेब, केला, अनार, संतरा, अनानास आदि को शामिल कर सकते हैं।

सावन सोमवार व्रत के नियम (Sawan Somvar Vrat Ke Niyam)

तो अगर आप भी सावन सोमवार व्रत रखना चाहते हैं, तो इसके ऐसे कई सारी बातें हैं जिसका आपको व्रत करने से पहले ध्यान रखना चाहिए, ताकि आपको आगे किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करना ना पड़े। क्योंकि जब तक आप इन नियमों का पालन करें बिना सोमवार का व्रत नहीं रखेंगे, तब तक आपका व्रत व्यर्थ ही चला जाएगा, और हम नहीं चाहते कि ऐसा हो, इसलिए चलीये आपको सावन सोमवार के व्रत के नियमों के बारे में बता देते हैं।

1: अगर आप सावन सोमवार का व्रत करना चाहते हैं, तो मैं आपको बता दू की पूजा व्रत और कथा करते समय आपको स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए, आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वक्ष वस्त्र धारण करने के बाद ही पूजा करने हेतु तैयार होना चाहिए।

2: दोस्तों अगर आप सावन सोमवार का व्रत कर रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि सावन सोमवार के दिन रात को शाम के समय ही खोला जाता है, उससे पहले आपको अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करना है। शाम को शिव जी की आरती करने के बाद ही अपना व्रत खोलें।

3: कई लोगों की या मान्यता होती है, कि सावन महीने में शिवलिंग का अभिषेक दूध से किया जाता है तो व्रत करने वाले को दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।

4: हम आपको बता दें कि सावन महीने का व्रत करने को बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है, तो ऐसे में अगर आप भी सावन महीने के सोमवार के दिन व्रत करते हैं, तो इस दिन आपको पूरी तरह से ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए। आपको सावन के पूरे महीने में शराब मांस मदिरा और लहसुन प्याज जैसी चीजों को हाथ भी नहीं लगाना है।

5: जब भी आप सावन सोमवार का व्रत कर रहे हैं, तब आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपको हमेशा सकारात्मक सोच रखनी है आपको कभी भी नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए, हैं और ना ही किसी का अपमान करना है।

6:सावन सोमवार रखते हैं तो इस बात का भी आपको ध्यान रखना चाहिए, कि आपको सावन वर्ष के दौरान हरी सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि सावन के महीने में अक्सर सब्जियों में कीड़े लग जाते हैं, इसलिए इनका सेवन करना निषेध होता है। लेकिन आप चाहे तो स्वच्छ सब्जी का सेवन कर सकते हैं। इस दिन बैंगन का सेवन करना भी निषेध माना जाता है।

सावन सोमवार व्रत के फायदे (Sawan Somvar Vrat Ke Fayde)

अगर आप सावन सोमवार के व्रत रखते हैं, तो आपको शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है तो इसकी वजह से आपको एक नहीं बल्कि अनेकों फायदे होते हैं, तो चलिए आपको सावन सोमवार व्रत के कुछ फायदो के बारे में बता देते हैं।

1: सावन सोमवार का व्रत करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है, कि व्यक्ति के ऊपर शिव जी और पार्वती जी दोनों की विशेष कृपा बनी रहती है, जिसकी वजह से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है, जोकि वह शिव जी और पार्वती जी से मांगता है। इसलिए अगर आपकी भी कोई मनोकामना हो, तो आप सावन सोमवार का व्रत करके उस मनोकामना को शिव जी और पार्वती जी से मांग सकते हैं।

2: चाहे आप स्त्री हो या पुरुष हो, आपको सावन सोमवार का व्रत रखना चाहिए, क्योंकि जो भी स्त्री या पुरुष सावन सोमवार का व्रत रखता है, उसे अपने वैवाहिक  जीवन में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता, उनका वैवाहिक जीवन खुशी पूर्वक बीतता है।

3: सावन सोमवार के दिन व्रत रखकर शिवजी और पार्वती की पूजा करने से शिव जी और पार्वती जी दोनों ही बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होते हैं, और भक्त की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी दुखों का निवारण शिव जी स्वयं करते है।

4: अगर कोई सावन सोमवार के दिन व्रत करता है, और व्रत कथा का पाठ करते हुए शिव जी की आराधना करता है, तो उस व्यक्ति को शिव जी स्वस्थ और निरोगी जीवन का वरदान देते हैं।

5: अगर आप सावन के प्रत्येक सोमवार के दिन शिवलिंग पर धतूरा अर्पित करते हैं, तो इससे व्यक्ति को संतान के सुख की प्राप्ति होती है।

सावन सोमवार व्रत उद्यापन विधि (Sawan Somvar Vrat Ki Udyapan Vidhi)

तो दोस्तों जिस प्रकार से आप पूरे विधि-विधान से सावन सोमवार के पहले दिन से सोमवार के व्रत करने का संकल्प लेते हैं, उसी प्रकार आपका जब सावन का महीना खत्म होता है, तब आपको सोमवार के दिन ही विधि पूर्वक अपने व्रत का उद्यापन भी करना चाहिए। जब तक आप पूरे विधि विधान से अपने व्रत का उद्यापन नहीं करेंगे, तब तक आपको आपके व्रत का फल नहीं मिलेगा। इसलिए जरूरी है कि पूरे विधि विधान से अपने व्रत का उद्यापन करें, तो चलिए हम आपको सोमवार व्रत विधि उद्यापन के बारे में जानकारी देते हैं ताकि आप आसानी से अपने व्रत का उद्यापन करके व्रत को पूर्ण कर सके।

1: जिस दिन आपको अपने व्रत का उद्यापन करना है, उस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सुबह जल्दी उठ जाएं, और स्नान आदि करने के बाद स्वस्थ वस्त्र धारण करले। अगर सफेद रंग के वस्त्र धारण करते हैं तो यह और भी शुभ माना जाता है।

2: स्नान आदि करने के बाद अपने घर के पूजा कच्छ में जाएं, और वहां जाकर गंगाजल छिड़क कर अच्छे से स्थान को पवित्र कर ले।

3: इसके बाद केले की मदद से एक चौकोन मंडप तैयार करें, और उसके चारों तरफ फूल और आम के पत्ते रख दें। ध्यान रहे कि बीच में थोड़ी जगह हो, उस बीच के जगह में आपको एक लकड़ी की चौकी रखनी है।

4: खाली जगह में लकड़ी की चौकी रखने के बाद उस चौकी में लाल रंग का एक वस्त्र बिछा दें, जिसमें आपको शिव जी और पार्वती जी की तस्वीर रखनी है, इसी के साथ आपको किसी पात्र में चंद्र देव की प्रतिमा रखनी है।  आप चाहे तो शिव जी के साथ नंदी भी चौकी में रख सकते हैं।

5: इसके बाद आपको शिव जी और पार्वती जी को चंदन और कुमकुम लगाना है, इसके बाद आपको शिव जी को कई प्रकार की पूजन सामग्री जैसे कि धतूरा, बेल पत्र, भांग, बेल फल, फूल, माला, सुपारी, जनेऊ, रोली, मोली, धूप, बत्ती, आदि शिव जी को समर्पित करनि है, और उसके बाद उनके सामने एक घी का दीपक जलाएं।

6: इसके बाद आप भगवान शिव और पार्वती जी को भोग लगाएं, भोग में आप उन्हें फल और पंचामृत का भोग लगा सकते हैं। इतना करने के बाद भोग को स्वयं भी ग्रहण करें, और अपने परिवार के सदस्यों को वितरित करें।

7: इसके बाद पूजा की सारी सामग्रियों को किसी ब्राह्मण को दान कर दें, इस दिन आप किसी जरूरतमंद की मदद भी कर सकते है, इससे आपको और भी ज्यादा पुण्य की प्राप्ति होगी।

लड़कियां सावन सोमवार का व्रत क्यों करती है (Ladkiya Sawan Somvar Ka Vrat Kyo Kerti Hai)?

वैसे तो सावन सोमवार का व्रत महिला पुरुष कोई भी कर सकते हैं, लेकिन हमें ज्यादा यही देखने को मिलता है कि ज्यादातर महिलाएं या लड़कियां ही सावन सोमवार का व्रत करती है। तो अगर बात करें लड़कियां सावन सोमवार का व्रत क्यों करती है, तो हम आपको बता दें कि कुंवारी लड़कियां अपने मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस दिन सावन सोमवार का व्रत रखती हैं, और अगर बात करें शादीशुदा महिलाओं की, तो वह अपने पति के दीर्घायु यानी की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।

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