तो दोस्तों हिंदू धर्म में कई सारे पर्व और त्योहार आते-जाते रहते हैं, जिसमें की कई प्रकार के व्रत भी विद्यमान रहते हैं। वैसे तो हमारे हिंदू धर्म में कई प्रकार के व्रत हैं, लेकिन उसमें करवा चौथ व्रत का स्थान सबसे ऊपर है। क्योंकि इस व्रत को सभी शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और कुंवारी लड़कियां मन चाहे वर को प्राप्त करने हेतु करती हैं। तो अगर बात करें करवा चौथ की, तो हम आपको बता दें कि करवा चौथ को कार्तिक माह के चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, इस दिन सभी महिलाएं निर्जला व्रत रखती है। कहा जाता है कि निर्जला व्रत रखने से शादीशुदा महिलाओं के पति की उम्र लंबी रहती है, और उन्हें सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इतना ही नहीं, कहा जाता है कि इस दिन अगर कोई कुंवारी लड़की करवा चौथ का व्रत रखती है, तो उसे उसका मनचाहा वर प्राप्त होता है।
इस दिन दिन भर निर्जला व्रत रखने के बाद रात को छलनी से चांद को देखकर चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है, और भोजन ग्रहण किया जाता है। लेकिन एक और चीज भी बहुत ही ज्यादा इंपोर्टेंट है, और वह है करवा चौथ की व्रत कथा। कहा जाता है कि करवा चौथ की व्रत कथा के बिना आपको इस व्रत का पूरा फल कभी भी प्राप्त नहीं होता, इसलिए अगर आप भी करवा चौथ का व्रत कर रहे हैं, तो करवा चौथ व्रत कथा का पाठ जरूर करें। इसके बारे में नीचे हमने आपको बताया है।
करवा चौथ व्रत कथा
तो दोस्तों अगर करवा चौथ की व्रत कथा के बारे में बात करें, तो हम आपको बता दें कि इस व्रत को सबसे पहले करवा नाम की एक महिला ने शुरू किया था, उसके बाद ही आज हम इस व्रत को कर रहे हैं। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और आपको करवा चौथ की व्रत कथा के बारे में विस्तार से बताते हैं।
यह बात बहुत समय पहले की है यह कहानी है देवी करवा की, जो कि अपने पति के साथ खुशी-खुशी एक नदी के किनारे रहती थी। एक दिन की बात है, जब करवा के पति ने नदी में जाकर स्नान करने के बारे में सोचा, और वह नदी में स्नान करने हेतु निकल पड़े। जब वे नदी में स्नान करने के लिए उतरे, तब हुआ यू की एक मगरमच्छ ने करवा के पति का पैर पकड़ लिया, और उसे पानी में अपनी तरफ खींचने लगा। जब करवा के पति ने मगरमच्छ को देखा, तब वह जोर-जोर से करवा को आवाज देने लगा, जिससे कि करवा दौड़ते हुए नदी के किनारे आ पहुंची। जब उसने देखा कि उसके पति के प्राण संकट में हैं, तो उसने तुरंत ही अपनी सूती की साड़ी से एक कच्चा धागा निकाला और मगरमच्छ को पास के पेड़ में ही बांध दिया। मगरमच्छ के द्वारा हमला किए जाने से करवा का पति बहुत ही ज्यादा घायल हो चुका था।
इसके बाद करवा ने क्रोधित होकर यमराज जी को पुकार लगाई, जिसके बाद यमराज जी ने करवा को दर्शन दिए। इसके बाद करवा ने यमराज जी से कहा, कि देखिए इस मगरमच्छ ने मेरे पति के प्राण लेने की कोशिश की है, कृपा करके आप आप इस मगरमच्छ के प्राण हर लीजिए। इसके बाद यमराज ने करवा को बताया, कि मैं ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि अभी इस मगरमच्छ की मृत्यु नहीं आई है, अभी इसकी आयु शेष है, किंतु तुम्हारे पति का समय अब पूरा हो चुका है। यमराज जी के इस वचन को सुनकर करवा ने कहा, कि अगर आपने ऐसा नहीं किया, तो मैं आपको श्राप दे दूंगी, और आपको भस्म कर दूंगी। क्योंकि करवा एक पतिव्रता और एक पवित्र पत्नी थी, जिसके वजह से यमराज जी भी भयभीत हो गए, और उन्होंने उस मगरमच्छ को नर्क लोग भेज दिया, और करवा के पति के प्राण भी लौटा दिए।
कहा जाता है कि यमराज जी के आशीर्वाद के बाद चित्र गुप्त जी ने भी करवा और उसके पति को वरदान दिया था। चित्रगुप्त जी ने करवा से कहा, कि जिस प्रकार से तुमने अपने पति के प्राणों की रक्षा की है, उससे मैं बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हूं, इसलिए मैं तुम्हें यह वरदान देता हूं, कि तुम्हारे पति की आयु लंबी होगी, और इसी के साथ-साथ आज के दिन कोई भी महिला निर्जला व्रत रखेंगी, तो उसके पति की आयु भी लंबी होगी, और उसे सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद प्राप्त होगा। क्योंकि उसकी सिंदूर की रक्षा स्वयं मैं करूंगा।
तो दोस्तों यही थी करवा चौथ की व्रत कथा, यही कारण है कि करवा चौथ के दिन अगर कोई महिला व्रत करें, तो उसके पति की आयु लंबी होती है, और उसे सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए अगली बार से अगर आप करवा चौथ का व्रत करें, तो इस व्रत कथा का पाठ करके ही व्रत को पूरा करें।
करवा चौथ की व्रत से जुड़ी एक और कहानी बहुत ही ज्यादा प्रचलित है, तो चलिए उस कहानी के बारे में भी जान लेते हैं।
साहूकार और उसकी बेटी की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक नगर में एक साहूकार रहा करता था, जिसके 7 बेटे और एक बेटी थी, सभी भाई बहन बहुत ही अच्छी तरह से रहा करते थे, सभी एक साथ ही खाना खाते थे। यह बात है साहूकार की बेटी की शादी के बाद कि, जब वह करवा चौथ का व्रत रखने अपने मायके आई थी। साहूकार की बेटी के साथ-साथ साहूकार की बेटी की सातों भाभियों ने भी करवा चौथ का व्रत रखा हुआ था, फिर हुआ यू की साहूकार के जो 7 बेटे थे, वह खाना खाने के लिए बैठे, और उन्होंने अपने बहन को भी खाना खाने को कहा। तब उनकी बहन ने उनसे कहा कि आज मेरा करवा चौथ का व्रत है, तो चांद को देखकर अपना व्रत तोड़कर ही खाना खाऊंगी। सभी भाइयों से अपनी बहन की हालत देखी नहीं जा रही थी, तभी उनमें से सबसे छोटे भाई के दिमाग में एक विचार आया, और उसने एक दीप जलाकर एक पेड़ के ऊपर रख दिया और उसे छलनी से ढक दिया, जिससे कि वह ऐसा दिख रहा था कि मानो चांद निकल रहा है। जिसके बाद उसने अपनी बहन को कहा कि बहन देखो चांद निकल गया है, तो तुम उसे अर्द्य देकर अपना व्रत खोल लो।
इसके बाद छोटी बहन ने उस दीपक को देखकर ही अपना व्रत खोल लिया, और खाने के लिए बैठ गई। जैसे ही उसने खाने का पहला निवाला मुंह में डाला, उसके खाने में बाल आ गया, जैसे ही उसने दूसरा निवाला खाया, उसे छींक आ गई, और जैसे ही उसने तीसरा निवाला खाया, तो उसके होश ही उड़ गए, उसे खबर मिली कि अचानक ही उसकी पति की मृत्यु हो चुकी है, उसे समझ नहीं आ रहा था यह क्या हो रहा है, तभी उनकी भाभिया उन्हें बताती है, कि तुमने जिसे देखकर अपना व्रत खोला है, वह चांद नहीं बल्कि एक दीपक था। क्योंकि तुमने गलत तरीके से अपने व्रत को खोल जिसकी वजह से चंद्र देव और करवा माता तुमसे बहुत ही ज्यादा नाराज हो चुकी है। यह सुनकर साहूकार की बेटी बहुत ही ज्यादा उदास हो जाती है, और यह निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करने देगी, वह अपने पति के प्राण को वापस लाकर ही रहेगी।
क्योंकि उसे पता था कि गलत तरीके से व्रत तोड़ने की वजह से चंद्र देव एवं करवा देवी उनसे नाराज हो चुकी थी, इसलिए उसने अगले साल के करवा चौथ व्रत का इंतजार किया, और वह एक साल तक अपने पति के लाश के पास बैठी रही, और उसकी रक्षा करती रही। जब अगला करवा चौथ का व्रत आया, तब उसने करवा चौथ का व्रत रखा, हर बार की तरह सभी भाभियों ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। उस व्रत के दौरान साहूकार की बेटी ने अपने सभी भाभियों से यह आग्रह करने लगी, कि वह उसे भी अपनी तरह सुहागन बना दे, और उसके पति के प्राण उसे लौटा दे। तभी एक भाभी ने साहूकार की बेटी से कहा, कि सबसे छोटे भाई ने ही पेड़ के ऊपर दीपक रखा था, इसलिए सबसे छोटी वाली भाभी में ही यह शक्ति है, कि वह तुम्हारे पति के प्राण लौटा दे। यह सुनकर साहूकार की बेटी सबसे छोटी भाभी से अपने पति के प्राण वापस करने हेतु आग्रह करने लगी, लेकिन छोटी भाभी ने साहूकार की बेटी की बात नहीं मानी, लेकिन जब साहूकार की बेटी ने अपनी छोटी भाभी से बहुत ही ज्यादा आग्रह की, तब सबसे छोटी भाभी ने साहूकार की बेटी की बात मान ली, और उसने अपनी उंगली को काटकर अमृत की कुछ बंदे उसकी पति की मुख में डाली, जिससे की उसका पति श्री गणेश जी का नाम लेकर उठ खड़ा हुआ। यह देखकर साहूकार की बेटी बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुई, और उसने अपनी सबसे छोटी भाभी को धन्यवाद भी दिया।
इसलिए कहा जाता है कि इस दिन अगर कोई भी महिला निर्जला व्रत रखती है, तो उसके पति की आयु लंबी होती है।
करवा चौथ व्रत से क्या फल मिलता है?
तो दोस्तों करवा चौथ व्रत को कार्तिक माह के चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, और जैसा कि आप सब को कहानी में पता चला, कि इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है, तो हम आपको बता दें कि करवा चौथ से मिलने वाला फल यही है, कि इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है, और महिलाओं को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह तो बात हुई शादीशुदा महिलाओं की, इस व्रत का महत्व सिर्फ इतना ही नहीं है, बल्कि इस व्रत का महत्व यह भी है, कि अगर कोई कुंवारी लड़की करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत रखती है, तो उसे वैसा ही वर प्राप्त होता है, जैसा कि वह चाहती है। इस दिन, दिनभर निर्जला व्रत रखकर व्रत कथा का पाठ करने के बाद रात के समय में चांद निकलने के बाद उसे छलनी से देखकर चंद्रमा को आर्द्य देने के बाद इस व्रत का उद्यापन किया जाता है, इसके बाद भोजन ग्रहण किया जाता है, तभी इस व्रत का पूरा फल मिलता है।
करवा चौथ व्रत के नियम
जैसा कि सभी प्रकार के व्रत को करने के कुछ ना कुछ नियम होते हैं, जिन नियमों का पालन करने के बाद ही आपको उस व्रत का पूरा फल मिलता है, उसी प्रकार करवा चौथ व्रत के भी कुछ नियम होते हैं, इस व्रत को आपको बहुत ही ज्यादा सावधानीपूर्वक करना चाहिए, तभी आपको इस व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। तो चलिए आपको करवा चौथ व्रत के उन नियमों के बारे में बताते हैं, जिनका आपको इस व्रत के दौरान ध्यान रखना चाहिए।
- इस व्रत का सबसे पहला नियम यह है, कि इस व्रत के दौरान आपको भोजन तो नहीं करना है, साथ ही साथ आपको पानी भी नहीं पीना है, क्योंकि करवा चौथ का व्रत निर्जला व्रत होता है।
- करवा चौथ के व्रत के दौरान आपको व्रत रखने के साथ-साथ भगवान शिव माता पार्वती और उनके पुत्र गणेश जी की भी पूजा आवश्यक रूप से करनी चाहिए।
- इस दिन आपको अपने सास से सरगी अवश्य लेनी चाहिए, असल में सरगी एक विशेष प्रकार की थाली होती है, जो की करवा चौथ व्रत रखने के दौरान महिला की सास के द्वारा महिला को उपहार के तौर में दिया जाता है, जिसमें कई प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं, जिनका सेवन अगले दिन के सूर्योदय से पहले करना होता है।
- करवा चौथ व्रत के दौरान आपको काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए, आप चाहे तो लाल रंग के कपड़े पहन सकते हैं, क्योंकि यह कपड़ा इस दिन के लिए शुभ माना जाता है।
- करवा चौथ के व्रत के दौरान आपको ध्यान रखना है कि जब तक चांद ना निकले, और जब तक आप चांद को अर्ध न दे दें, तब तक व्रत का पारण भूलकर भी न करें।
- इस दिन आपको तापसिक भोजन और नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, और ना ही घर में ऐसी चीज लानी चाहिए।
- करवा चौथ का एक और नियम यह है कि इस दिन महिलाओं को सुई, कैंची या फिर इसी प्रकार की चीजे जैसे की चाकू आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।
