स्वागत है दोस्तों आपका आज के हमारे एक और नए आर्टिकल में, तो दोस्तों क्या आपको महालक्ष्मी व्रत के बारे में पता है, दोस्तों हम उस महालक्ष्मी व्रत के बारे में बात कर रहे हैं, जिसे कि हमारे भारत देश में राधा अष्टमी के नाम से भी मनाया जाता है, इसे राधा अष्टमी के साथ-साथ महालक्ष्मी व्रत के कारण भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं महालक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं जैसे कि सभी को मालूम है कि महालक्ष्मी जी को धन की देवी माना जाता है, और उनके आशीर्वाद से कभी भी धन की कमी नहीं होती है, इसलिए इस व्रत का धर्म हिंदू धर्म के अनुसार बहुत ही ज्यादा हो जाता है। इस व्रत को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी कि गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद किया जाता है, और यह आगे के 16 दिनों तक चलता है, यानी की अश्विन मह की कृष्ण अष्टमी को इसका अंत होता है। इस दिन व्रत करना तो महत्वपूर्ण है ही, इसी के साथ इस दिन व्रत करके कथा का पाठ करना भी बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है, तभी जाकर व्रत करने का पूरा फल मिलता है। तो अगर आप भी चाहते हैं कि आप महालक्ष्मी का व्रत करें और कथा का पाठ करें, तो चलिए आगे बढ़ते हैं और आपके व्रत कथा और इस व्रत से जुड़ी कुछ जानकारियां देते हैं।
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि (Mahalaxmi Vrat Puja Vidhi)
दोस्तों जैसा कि हमने आपको पहले ही बता दिया है कि महालक्ष्मी व्रत 15 दिनों तक चलता है, और इसमें आपको 16वे दिन अपने व्रत का उद्यापन करना होता है, तो अगर आप पूरे 16 के 16 दिन व्रत रखते हैं, तो यह बहुत ही ज्यादा जरूरी है कि आप हर दिन महालक्ष्मी जी की पूजा पूरी विधि विधान से करें, ताकि लक्ष्मी जी आपसे जल्द प्रसन्न हो। तो अगर आपको नहीं पता है कि महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि क्या है, तो नीचे हमने आपको इसकी विधि के बारे में पूरी जानकारी दी है, उसके अनुसार आप आसानी से हर दिन लक्ष्मी जी की पूजा करके अपना व्रत पूरा कर सकते हैं।
1: जिस दिन आपको इस व्रत को करना है यानी कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को, उस दिन आपको सुबह ब्रह्म मुहूर्त यानी कि सूर्योदय से पहले उठ जाना है, और स्नान आदि कार्य को करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने हैं।
2: दोस्तों मानता है कि जब आप इस व्रत को शुरू करते हैं, तो इसके लिए सबसे पहले आपको व्रत का संकल्प लेना होता है। इसके लिए सबसे पहले आप लक्ष्मी जी को प्रणाम करें, और उसके बाद अपने व्रत का संकल्प लें, इसके लिए आप अपने बाएं हाथ की कलाई पर 16 गांठ लगी हुई मोली या डोर को बांध और उसे आपको पूरा व्रत खत्म होते तक अपने कलाई में बांधे रखता है। अगर आप डोर बांध रहे हैं तो उसे हल्दी से घिसकर पिला जरूर कर ले।
3: इस दिन महालक्ष्मी जी की पूजा दिन के समय नहीं बल्कि शाम के समय की जाती है, क्योंकि शाम के समय पूजा करना शुभ माना जाता है। इसलिए शाम को आप चाहे तो दोबारा स्नान कर सकते हैं, उसके बाद आपको अपने पूजा कक्ष में जाना है, और आपको अपने पूजा स्थान पर एक लकड़ी की चौकी रखनी है जिसके ऊपर आपको एक लाल रंग का वस्त्र बिछा देना है।
4: इसके बाद आप उस चौकी पर केसर और चंदन की मदद से अष्टदल का निर्माण करें, और हल्दी से एक कमल का निर्माण करें, और उस कमल के ऊपर माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद उस प्रतिमा के आगे आप भी आसान बिछाकर शांतिपूर्वक बैठ जाएं, और माता के आठ अवतारों का ध्यान करें।
5: इसके बाद आप माता को कुमकुम या फिर चंदन अर्पित करें, या फिर उनका इससे तिलक करें। इसके बाद फूलों की माला बनाकर माता को समर्पित करें और माता के आगे एक दीप प्रज्वलित करें।
6: इसके बाद आपको माता महालक्ष्मी को सोलह सिंगार की वस्तुएं जैसे की मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, कंगी, सिंदूर, पायल, बिछिया आदि सभी चीज अर्पित करनी है।
7: इसके बाद आपको एक पान का पत्ता लेना है और उस पान के पत्ते में आपको एक बताशा 1 रुपय का एक सिक्का, और एक छोटी सी इलायची लगाकर उसे लॉन्ग से बंद करके माता को अर्पित करना है।
8: इसके बाद आपको माता को भोग लगाना है, आप माता को भोग के रूप में ताजे फल या फिर मिठाई लगा सकते हैं। अगर आप सफेद रंग की चीज माता को भोग लगाते हैं, तो यह और भी अच्छा माना जाता है।
9: इतना करने के बाद आपको उस कथा का पाठ करना है, जो हमने आपके ऊपर बताइए यानी कि आपको महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करना है, और ध्यान रहे कि इस कथा का पाठ करते समय आपका ध्यान कहीं और ना भटके आपको सच्चे और निस्वार्थ मन से इस कथा का पाठ करना है।
10: कथा का पाठ करने के बाद आपको माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करनी है, इसके बाद आप माता से मनोकामना मांग सकते हैं।
अगर आप इस प्रकार से हर दिन माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, तो आपकी हर मनोकामना जरुर लक्ष्मी माता पूरी करती है।
महालक्ष्मी व्रत के दौरान क्या खाएं और क्या नहीं (Mahalaxmi Vrat mai Kya Khana chiye kya nahi)?
दोस्तों अगर आप भी महालक्ष्मी व्रत कर रहे हैं तो इस दौरान आपको यह जान लेना चाहिए कि इस दौरान आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। क्योंकि ऐसी कई चीजे हैं जो कि इस व्रत के दिन खाना वर्जित माना गया है। तो अगर बात करें इस दिन आपको क्या खाना चाहिए, तो हम आपको बता दें कि शास्त्रों के अनुसार इस दिन आप सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं, अगर बात करें सात्विक भोजन की, तो उसमें दूध घी और फल आदि शामिल है। इसी के साथ अगर आप दूध से बनी हुई कोई चीज भी ग्रहण करना चाहे, तो वह भी कर सकते हैं, क्योंकि यह सारी चीज भगवान को अर्पित की जाती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि पूरे दिन आपको व्रत के दौरान अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करना है, सिर्फ सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
महालक्ष्मी व्रत के नियम (Mahalaxmi Vrat Ke Niyam)
तो दोस्तों जैसे कि किसी भी कार्य को करने के उसके कुछ नियम कानून होते हैं, और उस नियम कानून का पालन करते हुए ही हमें उस कार्य को करना होता है, उसके बाद ही हमें उस कार्य का पूरा फल मिलता है। तो आप चाहे इस दुनिया का किसी भी प्रकार का व्रत कर ले, उसमें भी आपको उसके नियमों का पालन करना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है। तब जाकर आपको उस व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। तो इसलिए आपको महालक्ष्मी व्रत करने से पहले महालक्ष्मी व्रत के नियम के बारे में जान लेना जरूरी है, ताकि आपको इस व्रत का पूरा फल मिल सके। तो चलिए आपको महालक्ष्मी व्रत के नियम के बारे में जानकारी देते हैं।
1: दोस्तों यह हम आपको एक बार फिर से बता रहे हैं कि इस व्रत को लगातार 16 दिनों तक किया जाता है, और 16वे दिन इस व्रत का उद्यापन किया जाता है। तो ऐसे में लगातार 16 दिन व्रत रखना पड़ता है। तो अगर आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है या फिर आप गर्भवती महिला हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है, इसलिए आप इस व्रत को 16 दिन ना कर कर शुरू के 3 दिन या फिर आखरी के तीन दिन कर सकते हैं।
2: अगर आप पूरी विधि विधान से महालक्ष्मी व्रत करते हुए 16 दिन व्रत रखना चाहते हैं, तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इन दिनों आप किसी भी प्रकार के मांसाहारी भोजन या फिर शराब को ग्रहण न करें, कोशिश करें कि आप अपने खाने में प्याज और लहसुन का भी इस्तेमाल न करें, और घर के सदस्य भी इस बात का ध्यान दे।
3: इस व्रत के दौरान आपको अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करना है, आप चाहे तो फलाहारी या फिर दूध या फिर मिठाई का सेवन कर सकते हैं।
4: महालक्ष्मी व्रत की पूजा करने के दौरान आपको अपने आसपास सफाई का विशेष ध्यान देना होता है, ध्यान रखें की आप और आपकी पूजा स्थान के आसपास की जगह पूरी तरह से स्वच्छ हो, क्योंकि स्वच्छ घर में ही लक्ष्मी का वास होता है।
5: आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि व्रत के दौरान आपको किसी से भी लड़ाई झगड़ा नहीं करना है। आपको शांतिपूर्वक व्रत को शुरू करके शांतिपूर्वक ही इसे समाप्त करना है। तब जाकर आपको इसका पूरा फल मिलता है।
6: वैसे तो यह जरूरी नहीं लेकिन हो सके तो आप महालक्ष्मी व्रत के दौरान लक्ष्मी जी की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करें। क्योंकि इससे लक्ष्मी जी बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होती हैं।
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महालक्ष्मी व्रत उद्यापन विधि (Mahalaxmi Vrat Udhyapan Vidhi)
अगर आप किसी कार्य को विधि पूर्वक शुरू कर रहे हैं, तो यह बहुत ही ज्यादा जरूरी है कि आप उसे विधि के अनुसार खत्म भी करें। तो अगर आपने विधि से महालक्ष्मी व्रत करने का संकल्प लिया है, तो यह भी जरूरी है की पूरी विधि विधान से ही आप उस व्रत को खत्म करें खोलें यानी की उद्यापन करें। वैसे तो इसके लिए आपको किसी पंडित की जरूरत नहीं पड़ेगी, आप खुद से ही आसान प्रक्रिया से अपने व्रत का उद्यापन कर सकते हैं, तो चलिए आगे बढ़ते हैं और आपको उद्यापन विधि के बारे में बताते हैं।
1: अपने व्रत का उद्यापन करने के लिए इस व्रत के 16वे दिन में सबसे पहले आपको एक सुपड़ा लेना होता है, और उस सूपड़े के अंदर आपको 16 श्रृंगार की सभी सामग्रियां जैसे की कंगन, बिंदिया, मेहंदी, पायल, बिछिया, कंघी, सिंदूर आदि रखने है, और उस सूपड़े को एक दूसरे सूपड़े की मदद से पूरी तरह से ढक दे।
2: इतना करने के बाद आपको लक्ष्मी जी की प्रतिमा के आगे 16 दीप प्रज्वलित करने हैं, जिन्हें की आपको उनके चरणों से स्पर्श करवाना है और पूजा के बाद उन्हें दान देना है।
3: इसके बाद आपको अपना व्रत पूरा करने के लिए चंद्रमा को अर्द्य देना है, जिसके बाद आपको उत्तर दिशा की तरफ मुख करके लक्ष्मी जी को अपने घर में आमंत्रित करने हेतु पुकारना है।
4: इतना करने के बाद आपको माता लक्ष्मी को भोग लगाना है, ध्यान रहे की भोग में लहसुन और प्याज ना हो। मुख्य रूप से पूरी सब्जी और खीर का भोग माता को लगाया जाता है।
माता को भोग लगाने के बाद आप खुद भी भोजन ग्रहण कर सकते हैं, अगर आपके और अन्य सदस्यों ने भी इस व्रत को रखा है तो आप सभी साथ में भोजन कर सकते हैं।
5: इतना करने के बाद आपके इस व्रत का उद्यापन विधि विधान से पूर्ण होता है, इसके बाद आपने जो माता को भोग लगाया था आपको उस थाली को गाय को देना है, और जितनी भी पूजन की सामग्री है उसे आपको किसी ब्राह्मण को दान देना है।
इस प्रकार से आप पूरी विधि विधान से अपने महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन कर सकते हैं।
महालक्ष्मी व्रत के फायदे और महत्व (Mahalaxmi Vrat ke Fayde)
जैसा कि आप सभी को पता चल चुका है कि महालक्ष्मी व्रत कथा लक्ष्मी जी को ही समर्पित होता है, क्योंकि लक्ष्मी जी को धन की देवी माना जाता है तो कहा जाता है कि अगर आप महालक्ष्मी व्रत करते हैं और इसी दौरान व्रत कथा का पाठ करते हैं, तो आपको लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे कि आपको बेशुमार धन संपत्ति की प्राप्ति होती हैं, और आपको कभी भी धन की समस्या नहीं होती है। इतना ही नहीं, इस दिन व्रत करने से आपको विष्णु जी की भी कृपा प्राप्त होती है, यानी कि इस दिन व्रत रखकर आप विष्णु जी और लक्ष्मी जी दोनों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आप पूरी विधि विधान से इस व्रत को रखते हैं, और गज लक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करते हैं, तो इससे आपकी हर वह मनोकामना पूरी होती है जो आप पूजा के दौरान लक्ष्मी जी से मांगते हैं। तो इसलिए अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी मनोकामना पूरी हो, और आपको धन संपत्ति की प्राप्ति हो। तो हर वर्ष भाद्रपद माह में आने वाले राधा अष्टमी के दिन महालक्ष्मी व्रत जरूर करें, और कथा का पाठ करना ना भूले।
महालक्ष्मी व्रत कथा (Mahalaxmi Vrat Katha)
दोस्तों महालक्ष्मी व्रत कथा के माध्यम से हमें इस व्रत और लक्ष्मी जी के महत्व के बारे में पता चलता है। अगर आप भी महालक्ष्मी व्रत यानी कि राधा अष्टमी के दिन महालक्ष्मी व्रत करते हैं, तो इस दिन आपको महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ आवश्यक रूप से करना चाहिए। कहा जाता है कि इस कथा का पाठ करने से व्यक्ति को बहुत ही ज्यादा सौभाग्य की प्राप्ति होती है, और उसकी हर मनोकामना भी पूरी होती है। तो अगर आप भी महालक्ष्मी व्रत करने के बारे में सोच रहे हैं, तो चलिए आपको महालक्ष्मी व्रत कथा के बारे में बता देते हैं, ताकि आपको इसका पाठ करने या फिर सुनने में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो।
दोस्तों यह बात है बहुत समय पहले की, एक छोटा सा गांव था जिसमें की एक ब्राह्मण निवास करता था, वह बहुत ही ज्यादा गरीब था, लेकिन भले ही वह गरीब था लेकिन वह मन का सच्चा था। वह विष्णु जी का बहुत बड़ा भक्त था, वह हमेशा ही विष्णु जी की भक्ति में लगा रहता था, यानी कि विष्णु जी की पूजा करता था। इसकी इस लग्न को देखकर भगवान विष्णु ब्राह्मण से प्रसन्न हुए, और एक दिन अचानक ही ब्राह्मण को विष्णु जी ने दर्शन दिया। विष्णु जी को साक्षात अपने सामने देखकर पहले तो ब्राह्मण को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन वह फिर बहुत ही ज्यादा खुश हुआ। उसके बाद विष्णु जी ने उस ब्रह्म से कहा कि मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हूं, कहो कि तुम क्या चाहते हो?
तो दोस्तों जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि वह ब्राह्मण बहुत ही ज्यादा गरीब था, तो जब विष्णु जी ने उसे कोई इच्छा मांगने को कहा, तो उसने विष्णु जी को कहा कि मुझे अपने घर में लक्ष्मी जी का निवास चाहिए। यानी कि उसे धन संपत्ति यानी की माता लक्ष्मी का आशीर्वाद चाहिए। जिसके बाद विष्णु जी मुस्कुरा कर उस ब्राह्मण को लक्ष्मी जी को प्राप्त करने के उपाय के बारे में बताते हुए कहते हैं, कि हे ब्राह्मण तुम जो यह मंदिर देख रहे हो, इस मंदिर के सामने सुबह हर रोज एक स्त्री आती है, जो कि यहां आकर उपले बनाने का काम करती है, तो तुम यह करना कि कल सुबह तुम इस मंदिर में आना, और उसे स्त्री को अपने घर में आमंत्रित करना। वह स्त्री साक्षात लक्ष्मी का ही रूप है, इससे तुम्हारे घर में लक्ष्मी जी का निवास हो जाएगा, और तुम्हें अपने जीवन में कभी भी धन की समस्या नहीं होगी। इतना कहकर विष्णु जी वापस चले जाते हैं।
विष्णु जी की इस बात को सुनकर वह ब्राह्मण बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो जाता है, विष्णु जी के कहे अनुसार वह अगले दिन सुबह-सुबह ही जाकर मंदिर के सामने बैठ जाता है, फिर वह ब्राह्मण देखा है कि वह स्त्री मंदिर की ओर आ रही है, तो वह दौड़ता हुआ उस स्त्री के पास जाता है, और कहता है कि है माता कृपा करके आप मेरे घर पधारे। वह उनसे यह कह कर अपने घर आमंत्रित करने हेतु आग्रह करता है। ब्राह्मण के इस वचन को सुनकर वह स्त्री अचानक से ही सोचने लगती है, कि ऐसे ही कोई व्यक्ति मुझे अपने घर आमंत्रित क्यों करेगा। लेकिन वह फिर तुरंत ही सब कुछ समझ जाती है कि यह सब विष्णु जी का ही करा धरा है, उन्होंने ही ब्राह्मण को मुझे अपने घर आमंत्रित करने को कहा है।
उसके बाद उस स्त्री यानि कि साक्षत देवी लक्ष्मी ने उस ब्राह्मण से कहा कि अगर तुम महालक्ष्मी व्रत करोगे, और व्रत कथा का पाठ करोगे। तो तुम्हारी हर इच्छा पूरी होगी। इसके लिए तुम्हें लगातार 15 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करना होगा, और 16 दिन तुम्हें चंद्रमा को अर्द्य देना होगा उसके बाद मैं तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करूंगी, और तुम्हारे घर आऊंगी।
जिसके बाद वह ब्राह्मण बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो जाता है, और वह लक्ष्मी जी के कहे अनुसार पूरी विधि विधान से महालक्ष्मी व्रत और व्रत कथा का पाठ करता है। जिसके बाद वह चंद्रमा को अर्थ देने के बाद उत्तर दिशा में मुख करके लक्ष्मी जी को पुकारता है, जिसके बाद लक्ष्मी जी अपने वादे को पूरा करती है, और उसे ब्राह्मण के घर में आती हैं। जिसके बाद ब्राह्मण की जिंदगी पूरी तरह से संवर जाती है, और उसके घर में धन संपत्ति भर जाती है।
तो दोस्तों जिस प्रकार से महालक्ष्मी व्रत करने के बाद तथा व्रत कथा का पाठ करने के बाद, उस ब्राह्मण की मनोकामना पूरी हुई, और लक्ष्मी जी उसे ब्राह्मण के घर में गई। इस तरह अगर कोई व्यक्ति महालक्ष्मी व्रत के साथ इस कथा का पाठ करता है, तो उसकी भी हर मनोकामना विष्णु जी और माता लक्ष्मी पूरी करते हैं, और उस व्यक्ति के घर में भी धन संपत्ति बनी रहती है। तो अगर आप भी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा चाहते हैं, तो महालक्ष्मी व्रत करें और साथ ही साथ इस कथा का पाठ अवश्य करें। आपकी भी हर मनोकामना पूर्ण होगी।
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