तो दोस्तों शिर्डी के साईं बाबा और उनके चमत्कार से भला कौन वाकिफ नहीं है, सभी को शिरडी के साईं बाबा के बारे में पता है, शायद ही कोई ऐसा होगा जो जिन्होंने इनका नाम नहीं सुना होगा, या फिर जो इनके बारे में नहीं जानते होंगे। तो दोस्तों साईं बाबा को एक भगवान के अवतार वाला पुरुष माना जाता है, जिनकी कृपा से हमारे सारे बिगड़े काम बन जाते हैं। शिर्डी में साईं बाबा का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर भी है, जहां की साईं बाबा के सभी भक्त जाकर साईं बाबा के दर्शन करते हैं, अपनी मनोकामना मागते हैं। तो दोस्तों जरूरी नहीं की साईं बाबा को प्रसन्न करने के लिए आपको शिरडी जाकर ही उनके मंदिर जाना पड़े, इसके लिए आप घर में ही एक व्रत के माध्यम से साईं बाबा को प्रसन्न कर सकते हैं, तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम साईं व्रत के बारे में ही बात करने वाले हैं, तो अगर आप भी जानना चाहते हैं कि साईं व्रत क्या है, इसके नियम क्या है, और इसका महत्व क्या है, और साथ ही इस व्रत का उद्यापन किस प्रकार से किया जाता है, तो आज के हमारे इस आर्टिकल को आखिरी तक जरूर पढ़ें। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और शुरू करते हैं।
तो दोस्तों अगर बात करें साईं व्रत की, तो हम आपको बता दें कि यह व्रत साईं बाबा को समर्पित है। कहां जाता है कि इस व्रत को करने से हमें साईं बाबा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। अगर बात करें इसे कब किया जाता है, तो हम आपको बता दें कि इस व्रत को करने की कोई भी विशेष तिथि नहीं होती, आप किसी भी गुरुवार को इस व्रत को कर सकते हैं, क्योंकि सभी को मालूम है कि गुरुवार का दिन साईं बाबा को ही समर्पित होता है, इसलिए साईं व्रत करने के लिए गुरुवार के दिन को ही सबसे अच्छा दिन माना जाता है। इस दिन आपको दिन घर में सिर्फ एक बार ही भोजन करना होता है, और व्रत कथा का पाठ करके व्रत का उद्यापन करना होता है। कहा जाता है की व्रत कथा का पाठ करें बिना किसी भी व्रत का फल प्राप्त नहीं होता, इसलिए साईं व्रत कथा का पाठ करना भी बेहद जरूरी है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और आपको साईं व्रत कथा के बारे में बताते हैं।
[wpdm_package id=’342′]
साई व्रत कथा (Sai Vrat Katha)
तो दोस्तों यह व्रत की कहानी है दो पति-पत्नी की, एक शहर में महेश भाई नाम का एक व्यक्ति रहता था उसकी एक पत्नी भी थी जिसका नाम कोकिला था। वह दोनों खुशी-खुशी एक शहर में रहते थे और दोनों एक दूसरे से बहुत ही ज्यादा प्रेम भी करते थे, वैसे तो वह एक दूसरे से बहुत ही ज्यादा प्रेम करते थे, लेकिन दोनों का स्वभाव एक दूसरे के विपरीत ही था। बात करें महेश भाई की, तो महेश भाई स्वभाव से बहुत ही ज्यादा झगड़ालू थे, वह छोटे-छोटे बातों में ही झगड़ा कर बैठे थे, जिससे कि उनके आसपास उसके लोग भी बहुत ही ज्यादा परेशान रहते थे। वहीं महेश भाई की पत्नी यानि की कोकिला का स्वभाव किशन भाई के बिल्कुल विपरीत था, वह शांत स्वभाव वाली थी, वह पूजा पाठ भी अच्छे से करती थी, और कभी भी किसी से झगड़ा नहीं करती थी।
थोड़े दिन बाद हुआ यह की महेश भाई का कारोबार पूरी तरह से बंद पड़ गया, और उनके पास रोजगार का कोई भी साधन नहीं बचा। जिसकी वजह से महेश भाई को घर पर ही रहना पड़ा, क्योंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था, दिन भर घर में पड़े पड़े उनका स्वभाव दिन-ब-दिन और भी ज्यादा चिड़चिड़ा और झगड़ालू होते जा रहा था, जिससे कि वह छोटे-छोटे बाद में ही चीढ़ने लग जाते थे। एक दिन हुआ यह की महेश भाई के घर के दरवाजे पर किसी ने दस्तक जी, जब कोकिला बहन ने जाकर देखा, तो दरवाजे पर एक बुजुर्ग वृद्ध आदमी खड़ा हुआ था, उसके मुंह पर एक अलग ही तेज दिखाई दे रही थी, मानो ऐसा लग रहा था कि वह कोई साधारण मनुष्य ना हो। उसने कोकिला बहन को देखकर दाल चावल की मांग की, जिसके बाद कोकिला बहन घर के अंदर गई और उस वृद्ध साधु के लिए दाल चावल लेकर आई और उसे वृद्ध आदमी को दे दिया।
जब कोकिला बहन ने उस साधु महाराज को दाल चावल दिए, तब साधु महाराज जी ने कोकिला बहन को कहा, की साईं तुम्हारी रक्षा करें और तुम्हें सुखी रखें। यह सुनकर कोकिला बहन ने साधु महाराज से कहा, कि महाराज जी आप सुख की बात कर रहे हैं, और वह तो हमारे नसीब में ही नहीं है। हमारे पास रोजगार का कोई भी साधन नहीं है, मेरे पति घर में ही रहते हैं। यह सुनकर साधु महाराज को कोकिला बहन पर दया आ गई, और उन्होंने इसके समाधान के लिए कोकिला बहन को एक उपाय बताया, और कहा, कि इसके लिए तुम्हें गुरुवार का व्रत करना होगा। तुम्हें लगातार 9 गुरुवारों का व्रत करना होगा, साईं बाबा की पूजा करनी होगी, जिसमे की दिन भर में तुम्हें सिर्फ एक बार ही भोजन करना होगा, तुम चाहो तो फलाहार करके भी इस व्रत को पूरा कर सकती हो। इस व्रत के दौरान तुम्हें विधि विधान से व्रत का उद्यापन करना होगा, और भूखे को भोजन भी खिलाना होगा। ऐसा करने से तुम्हें साईं बाबा की कृपा प्राप्त होगी, और साईं बाबा तुम्हारी हर मनोकामना पूरी करेंगे।
साधु महाराज जी के कहे अनुसार ही कोकिला बहन ने नौ गुरुवारों का व्रत करने का संकल्प लिया, और देखते ही देखते कोकिला बहन ने नौ के नौ गुरुवार व्रत पूरे कर लिए, कोकिला बहन ने नवे गुरुवार को विधि विधान से अपने व्रत का उद्यापन किया, भूखे को भोजन भी खिलाया जैसे ही नौ गुरुवार के व्रत पूरे हुए, वैसे ही उनकी किस्मत बदलने लगी। उनके घर में सुख समृद्धि के साथ-साथ धन संपत्ति भी आने लगी। इतना ही नहीं, महेश भाई का स्वभाव भी अब चिड़चिड़ा नहीं था, उनके स्वभाव में भी अब नरमी आ गई थी। उनका व्यापार भी फिर से शुरू हो चुका था, जिससे कि अब उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं थी। दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन बिताने लगे थे।
दोनों यूं ही अपनी खुशी-खुशी जिंदगी बिता रहे थे, फिर एक दिन हुआ यू की कोकिला बहन के जो जेठ जेठानी थे, वह सूरत से उनके घर आए हुए थे। वह सभी अपने घर में बैठे हुए ही हुए थे, कि अचानक से कोकिला बहन की जेठ जेठानी ने कोकिला बहन को बताया, कि उनके बच्चे बिल्कुल भी पढ़ाई लिखाई नहीं करते, जिसकी वजह से अक्सर स्कूल से उनकी शिकायतें आती है। इतना ही नहीं, इसके वजह से वह परीक्षा में भी फेल हो जाते हैं। अपनी जेठ जेठानी की इस समस्या को सुनकर कोकिला बहन ने अपनी जेठ जेठानी को गुरुवार व्रत के बारे में बताया, और अपनी जेठ जेठानी से कहा, कि आप सभी को गुरुवार का व्रत करना चाहिए। लगातार नौ गुरुवारों का व्रत करने से हमें साईं बाबा की कृपा प्राप्त होती है, और साईं बाबा हमारी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि अगर आप ऐसा करेंगे, तो आपके बच्चे भी अच्छे से पढ़ाई लिखाई करने लगेंगे। यह सुनकर कोकिला बहन की जेठानी ने कोकिला बहन को इस व्रत की विधि बताने को कहा, इसके बाद कोकिला बहन ने अपनी जेठानी को इस व्रत की पूरी विधि बता दी, जो की कोकिला बहन को उस साधु महाराज जी ने बताई थी।
इसके बाद हुआ यह की कुछ दिनों बाद कोकिला बहन को एक पत्र प्राप्त हुआ, यह पत्र उसकी जेठानी का ही था, जो कि उसने सूरत से लिखा था। उस पत्र में उसने बताया था, कि तुम्हारे कहे अनुसार ही हमने गुरुवार का साईं व्रत किया था, और हमारे बच्चों ने भी इस व्रत को किया, और आज वह बहुत ही अच्छे से पढ़ाई लिखाई करने लग गए हैं। अब वह परीक्षा में फेल भी नहीं होते, बल्कि उनके अच्छे नंबर आने लगे हैं। इतना ही नहीं, मैंने अपनी सहेली को भी इस व्रत के बारे में बताया था, तो उसने भी इस व्रत को किया जिससे कि उसकी बेटी की शादी एक बहुत ही अच्छे घर में तय हो गई है। इतना ही नहीं, हमारे पड़ोसियों ने भी गुरुवार के व्रत को किया था, जिससे कि हुआ यह कि उनके गहने का डब्बा जो की 2 महीने से कहीं घूम गया था, वह अचानक कि उन्हें प्राप्त हो गया।
तो दोस्तों यही है साईं व्रत कथा, सच में साईं बाबा की कृपा अपरंपार है, वह बहुत ही ज्यादा महान है। जैसा कि इस कथा में हमें पता चलता है कि गुरुवार व्रत कथा बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है, इसे करने से हमें साईं जी की कृपा प्राप्त होती है, और हमारी हर मनोकामना पूर्ण होती है। इसलिए आपको भी हर गुरुवार को व्रत रखकर इस कथा का पाठ करते हुए गुरुवार का व्रत करना चाहिए, कोशिश करें कि यह व्रत आप भी लगातार नौ गुरुवारों तक रखें।
साईं व्रत करने से क्या फल मिलता है?
तो दोस्तों अगर बात करें साईं व्रत करने से हमें क्या फल मिलता है, तो हम आपको बता दें कि साईं व्रत करने से हमें साईं जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और इतना ही नहीं, साईं व्रत करने से हैं हमारी हर मनोकामना भी पूर्ण होती है, क्योंकि सभी को मालूम है की साईं बाबा कितने ज्यादा दयावान है, वह किसी भी व्यक्ति का जाति लिंग या धर्म नहीं देखते वह तो बस सब का मालिक एक है इसी बात पर अमल करते हैं, और सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसलिए अगर आप भी साईं बाबा की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन व्रत रख के इस व्रत कथा का पाठ करके आप भी आसानी से साईं बाबा को प्रसन्न कर सकते हैं, और अपनी मनोकामना साईं बाबा से मांग कर उसे पूर्ण कर सकते हैं।
साईं व्रत करने के नियम
तो दोस्तों अगर आप भी साईं व्रत को करने के बारे में सोच रहे हैं, तो इससे पहले की आप इस व्रत को करने का संकल्प ले, मैं आपको साईं व्रत करने की कुछ ऐसे नियमों के बारे में बताना चाहता हूं, जिसका पालन आपको इस व्रत के दौरान करना बहुत ही ज्यादा जरूरी है, ताकि आपको इस व्रत का पूरा-पूरा फल प्राप्त हो सके। तो चलिए एक-एक करके आपको साईं व्रत के उन सभी नियमों के बारे में बताते हैं।
1: साईं व्रत का संकल्प लेकर व्रत करने के लिए आपको गुरुवार के दिन से ही व्रत करना चाहिए, और लगातार 9 गुरुवारों तक इस व्रत को करना चाहिए।
2: साईं व्रत के दिन यानी कि गुरुवार के दिन आपको किसी भी प्रकार के तापसीक भोजन जैसे कि लहसुन प्याज आदि का सेवन नहीं करना है, आपको पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना है।
3: साईं व्रत करने के दौरान इस बात का भी ध्यान रखें, कि आपको क्रोधित होने से बचना है, आपको इस व्रत को शांतिपूर्वक और शांत वातावरण में रहकर ही पूरा करना है।
4: साईं व्रत करने के लिए आपको निर्जला व्रत रखने की जरूरत नहीं है, और रही बात भोजन की, तो वहां आप दिन भर में एक बार कर सकते हैं। आप चाहे तो फलाहार करके भी व्रत पूरा कर सकते हैं।
5: दोस्तों अगर आप भी गुरुवार को साईं व्रत कर रहे हैं, तो हो सके तो साईं बाबा के मंदिर जाकर भी साईं बाबा के दर्शन और उनकी पूजा जरूर करें।
6: जिस प्रकार आप विधि विधान से किसी भी व्रत का संकल्प करते हैं, उसी प्रकार उसका उद्यापन करना भी बहुत ही ज्यादा जरूरी है, इसलिए जरूरी है कि आप साईं व्रत का उद्यापन भी विधि विधान से करें, इसके बारे में हमने आपको आगे बताया है।
साईं व्रत का उद्यापन कैसे करें?
तो दोस्तों साईं व्रत का उद्यापन आपको पूरी विधि विधान से करना चाहिए, ताकि आपकी हर मनोकामनाएं साईं बाबा पूर्ण करें। अगर बात करें साई व्रत के उद्यापन की, तो साईं व्रत के उद्यापन व्रत के आखिरी दिन यानी की नौवे गुरुवार को किया जाता है, इस दिन आपको साईं बाबा की उसी प्रकार से पूजा करनी होती है, जिस तरह आप बाकी गुरुवार को साईं बाबा की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान आपको इस बात का ध्यान रखना है, की व्रत के संकल्प के समय आपने जो अपनी मन्नत के लिए पोटली बनाई थी, उस पोटली को आपको उद्यापन करते वक्त साईं बाबा के सामने रखना है।
इतना करने के बाद आपको साईं बाबा को कई प्रकार की पूजन सामग्री जैसे की कुमकुम चंदन आदि अर्पित करने हैं, और धूपबत्ती दिखाकर उनकी आराधना करनी है, इसके बाद आपको अपनी मन्नत वाली पोटली पर भी टीका लगाना है और उसमें पुष्प अर्पित करने हैं।
इतना करने के बाद आपको साईं बाबा की प्रतिमा या फिर मूर्ति के आगे एक घी का दीपक प्रज्वलित करना है, और उस घी के दीपक के आगे बैठकर आपको साईं व्रत कथा और साईं बाबा के कष्ट निवारण पाठ का जाप करना है। व्रत कथा और कष्ट निवारण पाठ का जाप कर लेने के बाद आपको अपने पूरे परिवार के साथ साईं बाबा की आरती करनी है, और आरती करने के बाद आपको साईं बाबा को भोग लगाना है। इतना करने के बाद आपको साईं बाबा के समक्ष हाथ जोड़कर बैठकर पूजा के दौरान जाने अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगना है, और आपकी मनोकामना को साईं बाबा को कहना है।
इसके बाद आपके मनन्नत वाले पोटली को आपको मंदिर में चढ़ा देना है, और उसके बाद आप इस बात का ध्यान रखें की उद्यापन वाले दिन आपको कम से कम 5 जरूरतमंद या फिर भूखे लोगों को भोजन करवाना है, और उन्हें दक्षिणा भी देनी है। तो इस प्रकार से आप आसानी से साईं व्रत का उद्यापन करके भोजन ग्रहण करते हुए इस व्रत को पूरा कर सकते हैं।
[wpdm_package id=’342′]