मंगला गौरी व्रत कथा,पूजा विधि,नियम,फायदे, उद्यापन कैसे करें – संपूर्ण जानकारी PDF Download

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दोस्तों कैसे हैं आप लोग, स्वागत है आपका आज के हमारे एक और नए आर्टिकल में। तो दोस्तों हम आपके लिए एक और आर्टिकल लेकर आ गए हैं, जिसमें हम आपको व्रत से जुड़ी कुछ जानकारियां देंगे, दोस्तों अभी सावन का महीना चल रहा है, और यह सभी को पता है कि सावन का महीना देवों के देव यानी की साक्षात महादेव को समर्पित होता है।

हम आपको यह बता दें, कि यह महीना महादेव के साथ-साथ महादेव की धर्म पत्नी यानी की पार्वती जी को भी समर्पित होता है, जिन्हें की गौरी भी कहा जाता है। हम आपको यह इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको मंगला गौरी व्रत के बारे में बताने वाले हैं, तो क्या आपको पता है की मंगला गौरी व्रत क्या है? और इसे कब मनाया जाता है, और इससे हमें क्या-क्या फायदे मिलते हैं?  अगर नहीं, तो आज का यह आर्टिकल सिर्फ और सिर्फ आपके लिए ही है, क्योंकि आज हम आपको मंगला गौरी व्रत से जुड़ी छोटी से लेकर बड़ी जानकारी प्रदान करने वाले हैं। आज हम आपको बताएंगे कि यह व्रत क्या है, इसे कब मनाया जाता है, इससे आपको क्या-क्या फायदे होते हैं। इतना ही नहीं, हम आपको मंगला गौरी व्रत कथा के बारे में भी बताने वाले हैं। तो यह सब जानने के लिए हमारे इस आर्टिकल में आखिरी तक बन रहे, तो चलिए शुरू करते हैं।

मंगला गौरी व्रत क्या है (Mangla Gauri Vrat Kya hai)?

तो दोस्तों जैसा कि हमने आपको इस आर्टिकल की शुरुआत करते समय सावन के बारे में बताया, कि यह महीना शिव जी और पार्वती जी दोनों को समर्पित होता है, और रही बात शिव जी की, तो आपको सावन सोमवार व्रत के बारे में तो पता ही होगा, जिसमें की सावन के प्रत्येक सोमवार में व्रत रखा जाता है, और व्रत कथा का पाठ किया जाता है, जिससे कि हमें शिव जी की कृपा प्राप्त होती है। क्योंकि सावन के महीने के साथ ही सोमवार का दिन यह शिव जी को समर्पित होता है।

लेकिन अगर बात करें पार्वती जी की, तो उन्हें मंगलवार का दिन समर्पित होता है। तो अगर बात करें मंगला गौरी व्रत की, तो सावन महीने के दौरान प्रत्येक मंगलवार को इस व्रत को करके व्रत कथा का पाठ किया जाता है, जिससे कि हमें पार्वती जी यानी कि गौरी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसलिए इस व्रत को मंगला गौरी व्रत भी कहा जाता है।

इस व्रत को ज्यादातर महिलाएं ही अपने सुखी विवाहित जीवन की मनोकामना हेतु करती हैं, कहा जाता है कि इस दिन अगर कोई नव विवाहित महिला  विधि विधान से इस व्रत को पूरा करती है, तो उसे शिवजी और पार्वती जी दोनों का ही आशीर्वाद प्राप्त होता है, और उसे एक सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। तो अगर आप भी एक महिला है और आप एक सुखी वैवाहिक जीवन चाहती हैं, चाहे आपकी शादी अभी हुई हो या पहले, तो आपको सावन की हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत जरूर करना चाहिए। यह व्रत कैसे करें, इसकी विधि क्या है, इसके बारे में हमने आगे आपको जानकारी दी है। जिसे पढ़कर आप इस व्रत को पूरा कर सकते हैं।

मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha)

अगर आप मंगला गौरी व्रत कर रहे हैं, तो आपको सावन के हर मंगलवार के दिन यह व्रत करना चाहिए, और सिर्फ व्रत करने से ही आपको पार्वती जी की कृपा प्राप्त नहीं होगी, इस व्रत के दौरान आपको मंगला गौरी व्रत कथा का भी पाठ विशेष तौर पर करना होगा। क्योंकि जब तक आप इस कथा का पाठ नहीं करेंगे, तब तक आपको इस व्रत का फल नहीं मिलेगा। इसलिए जरूरी है की व्रत के दौरान माता की पूजा करते वक्त आप इस कथा का पाठ जरूर करें, और रही बात कथा की, तो उसके बारे में हमने नीचे आपको बताया है।

यह बात है बहुत समय पहले की, एक शहर था जहां की धर्मपाल नाम का एक बहुत बड़ा व्यापारी रहता था। उसकी एक खूबसूरत सी पत्नी भी थी, जो की सर्वगुण संपन्न थी। दोनों ही खुशी-खुशी अपनी जिंदगी बिताते थे। उन्हें किसी भी चीज की कमी नहीं थी, उनके घर में बहुत ही ज्यादा धन संपत्ति थी, लेकिन उनको इस बात का बिल्कुल भी घमंड नहीं था। इतना सब कुछ होने के बाद भी व्यापारी और उसकी पत्नी को सिर्फ और सिर्फ एक चीज की ही चिंता लगी रहती थी, वह है संतान की। क्योंकि वह दोनों नि: संतान थे, उन्हें अभी तक ना ही पुत्र की प्राप्ति हुई थी और ना ही किसी पुत्री की। वह हमेशा इसी सोच में डूबे रहते थे कि काश हमारी भी एक संतान होती, वह सोचते थे कि हमारे पास इतना सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है।

भगवान की कृपा से हुई पुत्र की प्राप्ति

लेकिन धर्मपाल और उसकी पत्नी बहुत ही ज्यादा धार्मिक किस्म के व्यक्ति थे, वह हमेशा भगवान की पूजा किया करते थे, और कई प्रकार के व्रत और अनुष्ठान भी किया करते थे। एक दिन भगवान उनकी भक्ति से बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुए, और भगवान की कृपा से आखिरकार वह दिन आ गया, जिसका व्यापारी और उसकी पत्नी को बेसब्री से इंतजार था। भगवान की कृपा से कुछ ही दिनों बाद व्यापारी की पत्नी के गर्भ से एक पुत्र ने जन्म लिया लेकिन व्यापारी और उसकी पत्नी की समस्या यही पर समाप्त नहीं हुई थी।

व्यापारी के पुत्र को मिला था श्राप

भगवान की कृपा से उन्हें पुत्र की प्राप्ति तो हो गई थी, लेकिन उस पुत्र को एक श्राप मिला था, कि वह पुत्र अल्प आयु था, और वह सिर्फ 16 वर्ष की आयु तक ही जीवित रह पाएगा।

एक भविष्यवक्ता से व्यापारी को इस बात का पता चला कि उनके बेटे को श्राप मिला है, जिससे कि वह सिर्फ 16 वर्ष की आयु तक ही जीवित रह पाएगा। 16 वर्ष की आयु में सांप के काटने की वजह से उसके पुत्र की मृत्यु हो जाएगी। इसके बाद व्यापारी बहुत ही ज्यादा दुखी हो जाता है, वह दिन भर सोचता रहता है कि मुझे इतने वर्षों बाद एक पुत्र की प्राप्ति हुई, वह भी 16 वर्ष की आयु में मुझसे दूर चला जाएगा। लेकिन उसने हार न मानी, उसने अपने इस चिंता को भी भगवान के ऊपर छोड़ दिया, उसे विश्वास था कि भगवान उसकी मदद जरूर करेंगे, और इसका कोई ना कोई हल जरूर निकलेगा।

व्यापारी के पुत्र का विवाह

16 वर्ष के पहले ही व्यापारी ने अपने बेटे की शादी किसी सुंदर सी युवती के साथ करने के बारे में सोचा, व्यापारी को एक ऐसी युवती मिल भी गई। इसके बाद व्यापारी ने अपने पुत्र और उस युवती का विवाह भी करवा दिया। लेकिन व्यापारी को अभी भी पता था कि उसका पुत्र 16 वर्ष की आयु में ही सांप के काटे जाने से मारने वाला है, लेकिन भाग्य में कुछ और ही लिखा था।

माता पार्वती की कृपा से व्यापारी के पुत्र को कुछ नहीं हुआ

जिस व्यक्ति से व्यापारी के पुत्र का विवाह हुआ था, वह युवती मंगला गौरी व्रत का पाठ किया करती थी, वह सावन के हर मंगलवार के दिन इस व्रत को करके माता गौरी की पूजा किया करती थी, जिससे कि उस युवती को शिव जी और पार्वती जी की असीम कृपा से अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिला था, और भला जिस स्त्री को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिला है, उसके पति को भला कौन मार सकता है।  ऐसा ही हुआ 16 वर्ष की आयु हो जाने के बाद भी व्यापारी के पुत्र की मृत्यु नहीं हुई, क्योंकि व्यापारी के पुत्र की पत्नी को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त था। इस प्रकार से व्यापारी के पुत्र को लंबी आयु प्राप्त हुई, व्यापारी भी यह जानकर बहुत ही ज्यादा खुश हुआ, व्यापारी का पुत्र और उसकी पत्नी अपनी वैवाहिक जीवन खुशी-खुशी बिताने लगे।

तो दोस्तों यह है मंगला गौरी की वह व्रत कथा जिसका पाठ आपको व्रत के दौरान विशेष तौर पर करना चाहिए, जिस प्रकार से इस कथा में मंगला गौरी व्रत करने से युवती को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिला, उसी प्रकार अगर कोई महिला सावन के महीने के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत करती है, और इस कथा का पाठ करती है। तो उस महिला को भी अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है। इसलिए अगर आप एक महिला है तब तो आपको बिना सोचे समझे इस व्रत को करना ही चाहिए।

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि (Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi)

दोस्तों जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि इस मंत्र को सावन के मंगलवार के दिन से ही शुरू किया जाता है, वैसे तो इस वर्ष का सावन 4 जुलाई से ही शुरू हो चुका है, 4 जुलाई का दिन मंगलवार का ही था, यानी की मंगला गौरी व्रत के दिन से ही इस वर्ष के सावन की शुरुआत हुई है। अगर आप सावन की शुरुआत में ही इस व्रत को नहीं कर पाए, तो कोई बात नहीं, आप आगे आने वाले मंगलवार में मंगला गौरी व्रत करके शिव जी और पार्वती जी से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और आपको मंगला गौरी व्रत पूजा विधि के बारे में पूरी जानकारी देते हैं

1: जिस दिन आपको यह व्रत करना है, यानी कि सावन महीने के मंगलवार के दिन, आपको ब्रह्म मुहूर्त यानी कि सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना है, और स्नान करने के बाद आपको साफ सुथरे वस्त्र धारण करने हैं।

2: स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद आप मंदिर में भी जाकर पूजा कर सकते हैं, और घर में भी पूजा कर सकते हैं। घर में पूजा करने के लिए सबसे पहले आप अपने पूजा स्थान पर जाएं और पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़क कर उसे पवित्र कर ले।

3: तो दोस्तों जब आप अपने घर के पूजा स्थान पर पहुंचते हैं, उसके बाद आपको अपने पूजा स्थान पर शिव जी और पार्वती जी की एक प्रतिमा या फिर तस्वीर लेनी है, ताकि आप शिव जी और पार्वती जी की पूजा कर सकें।

4: इतना करने के बाद आपको शिव जी और पार्वती जी के सामने अपने व्रत को लेने का संकल्प लेना है, जिसके लिए आप अपनी मनोकामना या फिर आपका उद्देश्य को कहकर व्रत का संकल्प ले सकते हैं।

5: संकल्प लेने के बाद आपको माता गौरी यानी की पार्वती जी की प्रतिमा को लेनी है, और उसे एक लकड़ी के चौकी पर लाल या सफेद रंग के वस्त्र को बिछाकर उसके ऊपर विराजमान कर देना है।

6: इसके बाद आपको शिव जी और माता पार्वती के प्रतिमा के आगे आसान बिछाकर बैठ जाना है, इसके बाद आपको पार्वती माता के तस्वीर या फिर प्रतिमा के आगे आटे से बना एक घी का दीपक जलाना है, जिसमें की 16 बातिया हो।

7: इसके बाद आपको माता पार्वती को कई प्रकार की पूजन सामग्री जैसे की इलायची, लौंग, सुपारी, पान, लड्डू, सुहाग का सामान, चूड़ियां, माला, फल आदि अर्पित करने हैं, लेकिन जब आप यह सारे चीज माता को अर्पित करते हो, तो यह ध्यान रखें कि यह सारी चीजों की संख्या 16 ही होनी चाहिए। यानी कि आपको हर एक वस्तु की संख्या 16 रखकर ही माता को अर्पित करनी है।

8: यह सारे पूजन सामग्री चढ़ाने के बाद आपको माता को 7 प्रकार के अन्न और पांच प्रकार के सूखे मेवे का भोग लगाना है, यानी कि उन्हें यह अर्पित करना है।

9: इतना करने के बाद आपको मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ करना है, जिसके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं। तो आप उस कथा का पाठ करके अपने इस व्रत के पूजा विधि को सफलतापूर्वक पूरी कर सकते हैं।

मंगला गौरी व्रत के कुछ नियम (Mangla Gauri Vrat Ke Kuch Niyam)

अगर आप भी एक महिला है, और अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त करने हेतु मंगला गौरी व्रत की शुरुआत करने के बारे में सोच रहे हैं, तो इस व्रत की शुरुआत करने से पहले ही आपको इसके कुछ नियमों के बारे में जान लेना चाहिए। ताकि आपको इस व्रत को करने में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो, और आप बिना किसी गलती के इस व्रत को पूरा कर पाए, क्योंकि ऐसी कई बातें होती है जिसका ध्यान आपको इस व्रत को शुरू करने से पहले रखना चाहिए जैसे की–

1: इस व्रत को करने के दौरान आपको अपने और आपके आसपास के स्थान पर साफ सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि जिस स्थान पर साफ सफाई नहीं होती, वहां पर देवी देवताओं का वास कभी भी नहीं होता है।

2: अगर आप इस व्रत को करके इसका पूरा फल प्राप्त करना चाहती हैं, तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि इस व्रत के दौरान आपको किसी भी प्रकार के झगड़े और विवाद में नहीं उलझना है, और ना ही आपको किसी के ऊपर क्रोध करना है, ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है।

3: जब भी आप इस व्रत को करें और जब भी आप माता को पूजन की सामग्री अर्पित करें, तो इस बात का ध्यान रखें, की सभी पूजन सामग्रियों की संख्या 16 हो, ना ही एक कम और ना ही एक ज्यादा।

4: अगर आपने एक बार इस व्रत को करना शुरू कर दिया, तो आपको हर साल इस व्रत को करना चाहिए। लेकिन अगर आप फिर भी व्रत को छोड़ना चाहे तो कम से कम आपको 5 सालों तक इस व्रत को लगातार करना चाहिए, तब जाकर आपको इस व्रत को छोड़ना चाहिए।

5: इस व्रत को करने के दौरान आप किसी भी प्रकार के तापसिक भोजन का ग्रहण न करें, यानी कि आपको लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना है, साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान रखें, कि आप और घर के अन्य सदस्य शराब और नशीली पदार्थ से दूरी बनाकर रखें।

मंगला गौरी व्रत के फायदे (Mangla Gauri Vrat Ke Fayde)

तो दोस्तों अगर बात करें मंगला गौरी व्रत करने से आपको क्या फायदा होते हैं, तो हम आपको बता दें कि इस व्रत को करने से एक नहीं बल्कि कई फायदे होते हैं। कहा जाता है कि अगर कोई महिला इस व्रत को पूरे विधि विधान से करती है, तो उसे महिला का वैवाहिक जीवन बहुत ही ज्यादा खुशी से बीतता है, और उसे अखंड सौभाग्यवती यानी कि उसके पति की दीर्घायु होने का वरदान प्राप्त होता है।

इतना ही नहीं, इस व्रत को पति की लंबी आयु के साथ-साथ संतान के सुख की प्राप्ति हेतु भी किया जाता है। अगर कोई नि: संतान महिला इस व्रत को करती है, तो कहा जाता है कि भगवान शिव और पार्वती जी की कृपा से उस महिला को जल्द ही संतान की प्राप्ति होती है, और वह संतान का जीवन भी बहुत ही खुशी पूर्वक बीतता है। जरूरी नहीं की विवाहित महिलाएं ही इस व्रत को करें, अगर आपका अभी तक विवाह नहीं हुआ है, तो भी आप इस व्रत को कर सकते हैं। कहा जाता है कि अगर कोई कन्या इस व्रत को करें, तो उसे उसका मनचाहा वर और एक खुशहाल वैवाहिक जीवन प्राप्त होता है।

अगर आप भी चाहती हैं कि आपको यह सारे फायदे हो, तो इस आर्टिकल में बताए गए विधि के द्वारा आप इस व्रत को पूरे विधि विधान से पूरा कर सकते हैं, और माता पार्वती यानी कि गौरी और शिव जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

मंगला गौरी व्रत के दौरान क्या खाएं और क्या नहीं (Mangla Gauri Vrat Mai Kya Khana Chiye or Kya Nahi )?

इस व्रत को करने से पहले कई लोगों के दिमाग में यह प्रश्न आता है, की मंगला गौरी व्रत करने के दौरान हमें कौन सी चीज खानी चाहिए और कौन सी नहीं। तो हम आपको बता दें कि इस व्रत के दौरान आपको दिन भर में सिर्फ एक बार ही भोजन ग्रहण करना होता है, और अगर बात करें की इसमें आपको कौन सी चीज खानी चाहिए तो हम आपको बता दें कि इसमें आप फलाहारी यानी कि फल जैसे की केला, सेब, संतरा आदि अपने भोजन में ग्रहण कर सकते हैं। इसी के साथ आप दूध से बनी चीज जैसे कि पनीर और मेवा और इसी के साथ साबूदाने की खिचड़ी अपने भोजन में ग्रहण कर सकते हैं, और अगर बात करें ऐसी कौन सी चीज हैं जो नहीं खानी चाहिए, तो इस दौरान आपको अपने भोजन में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए, यानी कि आपको ऐसा भोजन करना चाहिए जिसमें की बिल्कुल भी नमक ना हो। साथ ही साथ आपको इसमें तापसीक भोजन जैसे कि लहसुन प्याज और मांस मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

मंगला गौरी व्रत उद्यापन कैसे करें (Mangla Gauri Vrat Udhyapan Kaise Kare)

तो दोस्तों अगर बात करें मंगला गौरी व्रत के उद्यापन करने की विधि की तो इसका उद्यापन सावन सोमवार के आखिरी मंगलवार को किया जाता है, उससे पहले आप इस व्रत का उद्यापन नहीं कर सकते। इतना ही नहीं, इस व्रत के दौरान किसी ज्ञानी पंडित की सहायता से ही व्रत का उद्यापन करना चाहिए, ताकि इसमें आपको किसी भी प्रकार की समस्या ना हो। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और आपको मंगला गौरी व्रत के दौरान आखिरी मंगलवार को अपने व्रत उद्यापन करने की विधि के बारे मे बताते है।

1: जिस दिन आपको अपने व्रत का उद्यापन करना है, यानी कि सावन महीने के आखिरी मंगलवार के दिन, आपको सूर्योदय होने से पहले जग जाना है, और स्नान आदि का कार्य करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने हैं। हो सके तो लाल रंग का वस्त्र धारण करें।

2: इसके बाद आप भोजन की तैयारी कर ले, क्योंकि इस दिन आपको पंडितों तथा 16 विवाहित महिलाओं को भोजन करवाना होता है, तब जाकर आपको इस व्रत का पूरा फल मिलता है।

3: इतना करने के बाद आप अपने घर के पूजा स्थान पर जाएं, वहां एक लकड़ी की चौकी रखें और उस चौकी के चारों पैरों पर केले का खंबा बांध दें।

4: इसके बाद आपको पूरी विधि विधान से पंडित के आज्ञा अनुसार कलश का स्थापना करना है, इसके बाद आपको कलश के ऊपर माता गौरी की प्रतिमां भी स्थापित करनी है।

5: इतना करने के बाद आपको ओढ़नी, नथ आदि सामानों के साथ जो भी सुहाग के समान होते हैं, उन सभी को माता को अर्पित करना है।

6: माता को सुहाग की चीज अर्पित करने के बाद आपको प्रतिमा के सामने ही आसन बिछाकर  बैठ जाना है, और उसके बाद आपको मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ करना है, या फिर इसे सुनना है।

7: इतना करने के बाद अगर आप विवाहित महिला हैं, तो इसके बाद आपको अपने पति के साथ हवन करना है, ताकि आपको इस वक्त का पूरा फल मिल सके। अगर कोई ऐसी महिला इस इस व्रत का उद्यापन कर रही है, जिसका अभी तक विवाह नहीं हुआ है, तो वह अपने माता-पिता के साथ इस व्रत को करके व्रत का उद्यापन कर सकती हैं।

8: इतना करने के बाद आपको परिवार के सभी सदस्यों के साथ हवन पूरा करना है, और उसके बाद आपको माता गौरी यानी की पार्वती जी की आरती करनी है।

9: इसके बाद आपको नियम अनुसार पंडितों और 16 विवाहित महिलाओं को भोजन करवाना होगा, और भोजन के पश्चात उन्हें दान दक्षिणा भी करनी होगी।

10: पंडितों और महिलाओं को दान दक्षिणा करने के बाद, अगर आप एक विवाहित महिला हैं, तो आपको अपनी सासू मां के चरणों को स्पर्श करके उन्हें एक चांदी के बर्तन में 16 लड्डू, आभूषण और सुहाग के चीजे देनी है।

इतना करने के बाद आप अपना व्रत का उद्यापन कर सकते हैं और भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

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